मध्य प्रदेश में मोहन सरकार ने देर रात एक महत्वपूर्ण कदम उठाया, जिससे प्रदेश के 11 सरकारी कर्मचारी और अधिकारी सुबह उठते ही सस्पेंशन लेटर के साथ जागे। झारखंड के दौरे से लौटने के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने देर रात समाधान ऑनलाइन की समीक्षा बैठक की, जिसमें उन्होंने अधिकारियों की कड़ी फटकार लगाई और 11 अफसरों को सस्पेंड करने का आदेश दिया।
इन कर्मचारियों के खिलाफ यह एक्शन इस वजह से लिया गया है कि इन्होंने लोगों की शिकायतों के समाधान में लापरवाही बरती। मोहन सरकार के इस कदम से प्रशासनिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। उदाहरण के लिए, रायसेन जिले में एक युवक ने बिजली बिल में गड़बड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। जब उसका समाधान समय पर नहीं हुआ, तो मुख्यमंत्री ने बिजली वितरण कंपनी के जनरल मैनेजर को सस्पेंड कर दिया।
खंडवा और झाबुआ जिलों में भी एक्शन
सीएम मोहन यादव ने अधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद खंडवा जिले में एक लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं करने की शिकायत पर निरीक्षक को सस्पेंड करने के निर्देश दिए। साथ ही, एसडीओपी और टीआई को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया। इसी प्रकार, झाबुआ जिले में कपिलधारा कूप निर्माण योजना में भुगतान में देरी पर पंचायत सचिव को सस्पेंड किया गया, जबकि सीईओ लेखाधिकारी को कारण बताओ नोटिस दिया गया।
सीएम मोहन ने इस मौके पर कहा कि लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि सभी मामलों का समाधान जल्द से जल्द किया जाए।
“खबरीलाल न्यूज़ में यह भी पढ़ें”बैंक मे जामा लाखों रुपये निकालने गए, तो मिले केवल 179 रुपये।
कलेक्टरों को मिली फटकार
इस बैठक के दौरान, मुख्यमंत्री ने जिलों के कलेक्टरों को भी फटकार लगाई। उन्होंने वर्चुअल मीटिंग में बालाघाट के कलेक्टर को बीच में ना देखकर कलेक्टर से कहा कि आईजी को हटाएं और खुद को प्रशासनिक अधिकारी समझें। इसके अलावा, छात्रवृत्ति बांटने में देरी के लिए अशोकनगर के कलेक्टर को भी खरी-खोटी सुनाई गई। जब अलीराजपुर के कलेक्टर ने निशक्तजन मामलों के बारे में बताया, तो सीएम ने उन्हें कहा कि “ज्यादा मत बोलो, जितना बोलोगे उतना फंसोगे।”
सीएम मोहन के इस त्वरित एक्शन के बाद प्रशासनिक हलका सख्ते में आ गया है। बताया जा रहा है कि हाल ही में लगातार शिकायतें मिल रही थीं, जिसके चलते सीएम ने यह कदम उठाया है।
शिकायतों का समाधान
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि जिन मामलों का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है, उनका जल्द से जल्द निपटारा किया जाए। यह एक्शन सीएम मोहन की सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है कि वे अपनी प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार लाने के लिए गंभीर हैं और किसी भी प्रकार की लापरवाही को सहन नहीं करेंगे।
इन घटनाओं ने साफ कर दिया है कि मोहन सरकार शिकायतों के प्रति संवेदनशील है और वे नागरिकों के मुद्दों का समाधान करने के लिए तत्पर हैं। ऐसे एक्शन से प्रशासन में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।