C295 विमान प्रोजेक्ट: भारत के लिए गेम चेंजर
भारत के वड़ोदरा में एक महत्वपूर्ण विमान निर्माण फैक्ट्री का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने किया। यहां एयरबस और टाटा अडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) मिलकर भारतीय वायुसेना के लिए C295 विमान का निर्माण करेंगे। यह प्रोजेक्ट न केवल भारत में सैन्य विमानन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का एक नया अध्याय खोलता है, बल्कि कई अन्य महत्वपूर्ण लाभ भी प्रदान करता है। आइए समझते हैं कि यह प्रोजेक्ट भारत के लिए क्यों गेम चेंजर साबित होगा।
1. सैन्य क्षमता में वृद्धि
C295 विमान भारतीय वायुसेना की सामरिक एयरलिफ्ट क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह एक मल्टीरोल सैनिक विमान है, जिसका उपयोग सैनिकों, सामग्रियों, घायल सैनिकों के परिवहन, अन्य विमानों में ईंधन भरने, और समुद्री गश्त जैसे विभिन्न मिशनों के लिए किया जा सकता है। C295, पुराने AN-32 और HAL के एवरो 748 विमानों की जगह लेगा, और इसकी तकनीकी क्षमताएं इनसे कहीं आगे हैं। इसे छोटे और कच्चे रनवे से भी उड़ाया जा सकता है, जो विशेष रूप से भारत-चीन सीमा के लिए महत्वपूर्ण है।
2. ‘मेक इन इंडिया’ का समर्थन
C295 प्रोजेक्ट भारत की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहलों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत ने एयरबस से 56 C295 विमानों की खरीद के लिए सौदा किया है। इसमें 16 विमानों को तैयार स्थिति में प्राप्त किया जाएगा, जबकि 40 विमानों का निर्माण वड़ोदरा में होगा। इस प्रक्रिया के माध्यम से भारत को आयात पर निर्भरता कम करने का मौका मिलेगा और निर्माण क्षेत्र में वृद्धि होगी।
3. रोजगार और आर्थिक विकास
इस परियोजना से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा। वड़ोदरा की यूनिट से 3,000 से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियां उत्पन्न होने की उम्मीद है, और 15,000 से ज्यादा अप्रत्यक्ष नौकरियां भी पैदा होंगी। इसके अलावा, विमान के निर्माण में हर एक विमान के लिए 10 लाख घंटे से अधिक का कार्य हो जाएगा, जो कुशल कार्यबल की आवश्यकता को बढ़ाएगा। इससे एयरोस्पेस उद्योग में विविधता भी आएगी, जो वर्तमान में दक्षिण भारत के कुछ शहरों में केंद्रित है।
4. एयरोस्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि
C295 के निर्माण के साथ-साथ, इसकी देखभाल के लिए भी आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास किया जाएगा। वायुसेना के जवानों को इस विमान को उड़ाने और इसके रखरखाव की ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए विभिन्न सुविधाएं स्थापित की जाएंगी, जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक डिपो और आगरा में एक ट्रेनिंग केंद्र शामिल होगा। यह कदम भारत के नागरिक और सैन्य विमानन उद्योग को सशक्त करेगा।
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5. विमान निर्यात की संभावनाएं
C295 प्रोजेक्ट भारत की घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ, भविष्य में विमान निर्यात के अवसर भी खोलेगा। एयरबस और टाटा, भारत सरकार द्वारा मंजूर अन्य देशों के ऑर्डर के लिए भी विमानों का निर्माण करेंगे। यह पहल ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ के सिद्धांत के अनुरूप है, जिससे भारत एयरोस्पेस मार्केट में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में उभरेगा।
6. C295 का इतिहास और वैश्विक उपस्थिति
C295 विमान का निर्माण मूल रूप से स्पेन की कंपनी Construcciones Aeronáuticas SA ने किया था, जो अब एयरबस का हिस्सा है। भारत ने सितंबर 2021 में एयरबस के साथ 56 C295 विमानों की डील की थी, जिसमें 21,935 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। पहले C295 विमान का आगमन सितंबर 2023 में हुआ, और भारत में बने पहले विमान का वायुसेना में शामिल होने का अनुमान सितंबर 2026 तक है।
C295 विमान की विशेषता यह है कि यह छोटे रनवे पर टेक-ऑफ और लैंडिंग कर सकता है। यह लद्दाख, कश्मीर, असम, और सिक्किम जैसे पहाड़ी इलाकों में विशेष रूप से उपयोगी साबित होगा, जहां इसकी शॉर्ट टेक-ऑफ और लैंडिंग क्षमता महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
C295 विमान प्रोजेक्ट न केवल भारत की सैन्य क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि यह आर्थिक विकास, रोजगार के अवसर, और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों को भी सशक्त करेगा। इसके माध्यम से भारत एयरोस्पेस क्षेत्र में एक नई दिशा की ओर अग्रसर होगा, जो आने वाले वर्षों में देश की सामरिक और आर्थिक मजबूती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।