पीले तरबूज की खेती से किसान कर सकते हैं मोटी कमाई
देश में पीले तरबूज की खेती (Yellow Taiwanese Watermelon Cultivation) करके किसान अपनी आमदनी को बढ़ा रहे हैं। इसे ‘डेजर्ड किंग’ के नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में इसकी खेती की जा रही है। आमतौर पर, भारत में ज्यादातर लोग हरे और लाल तरबूज के बारे में ही जानते हैं, लेकिन अब किसान ऐसे तरबूज की खेती कर रहे हैं जो बाहर से हरे होते हैं, जबकि अंदर से उनका रंग पीला (Yellow Taiwanese Watermelon Cultivation) होता है। ये तरबूज स्वाद में अधिक मीठे होते हैं, हालांकि इनकी कीमत लाल तरबूज की तुलना में काफी अधिक होती है।
जबरदस्त कमाई कर रहे किसान
पीले तरबूज की खेती (Yellow Taiwanese Watermelon Cultivation) से किसान अपनी आमदनी को बढ़ा रहे हैं। इसकी खेती की शुरुआत अफ्रीका में हुई थी, और अब भारत में भी किसान इसे अपनाने लगे हैं।
पीले ताइवानी तरबूज के प्रकार
भारत में ताइवानी पीले तरबूजों के दो प्रमुख प्रकार हैं: पहला, जो बाहर से हरा और अंदर से पीला होता है, और दूसरा, जो बाहर से पीला और अंदर से लाल होता है।
पोषण की दृष्टि से फ़ायदे
पीले तरबूज में लाल तरबूज की तुलना में अधिक पोषक तत्व होते हैं। इनमें आयरन, विटामिन बी, सी, ए, बीटा कैरोटीन, फॉस्फोरस, और मैग्नीशियम जैसे कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं।
तरबूज की कीमत
बाजार में लाल तरबूज की कीमत लगभग 30 रुपये प्रति किलो होती है। वहीं, जो तरबूज बाहर से हरे और अंदर से पीले होते हैं, उनकी कीमत लगभग 50 रुपये प्रति किलो होती है, जबकि बाहर से पीले और अंदर से लाल तरबूज की भी कीमत लगभग 50 रुपये प्रति किलो ही है।
कैसे करें पीले तरबूज की खेती
पीले तरबूज की खेती उन्नत किस्म के ताइवान के विशाला बीजों से की जा सकती है।
- एक एकड़ भूमि में लगभग 6,000 पौधे लगाए जा सकते हैं।
- एक एकड़ के लिए पीले तरबूज की खेती की लागत लगभग 1.10 लाख रुपये आती है।
- प्रति पौधे की लागत लगभग 25 रुपये हो सकती है।
- आप नर्सरी से उन्नत बीज ले सकते हैं या ऑनलाइन भी आसानी से पीले तरबूज के बीज खरीद सकते हैं।
- इसकी खेती के लिए ज्यादा खाद या रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता नहीं होती है।
- अच्छे जल निकास वाली भूमि में इसकी खेती करना चाहिए।
- मिट्टी लाल रेतीली और दरमियानी होनी चाहिए, और उसका पीएच मान 6-7 रहना चाहिए।
- इसकी बुवाई के लिए जनवरी से मार्च और नवंबर-दिसंबर का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
- आप गड्ढा खोदकर बुवाई कर सकते हैं और फिर क्यारियों में बीज लगा सकते हैं।
इस तरह, किसान पीले तरबूज की खेती से न केवल अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, बल्कि एक नई फसल की विविधता भी प्रस्तुत कर सकते हैं।