टाटा ग्रुप (Tata Group) का असली मालिक कौन? by Khabrilall News
टाटा ग्रुप (Tata Group) में 30 बड़ी कंपनियाँ हैं जो नमक, चाय, सॉफ्टवेयर, कारें, हवाई जहाज़, स्टील और बिजली का उत्पादन करती हैं। ये सभी कंपनियाँ अपना कारोबार खुद चलाती हैं। टाटा ग्रुप (Tata Group) का वार्षिक टर्नओवर लगभग 13 लाख करोड़ रुपये है, जबकि शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियों की कुल कीमत लगभग 33 लाख करोड़ रुपये है। टाटा सन्स इन कंपनियों के कुछ हिस्सों के मालिक हैं, और यही टाटा ग्रुप को एकीकृत करता है। इस ग्रुप की स्थापना 1868 में जमशेद जी टाटा ने मुंबई में की थी।
हमें लगता है कि मुकेश अंबानी रिलायंस के मालिक हैं या गौतम अदाणी अपने समूह के प्रमुख हैं। लेकिन ये दोनों परिवार अपने-अपने व्यवसाय के 100% मालिक नहीं हैं। अंबानी परिवार के पास रिलायंस इंडस्ट्रीज़ के लगभग 49% शेयर हैं, जबकि अदाणी परिवार की कंपनियों में उनके पास 60% से लेकर 72% तक शेयर हैं। हालांकि, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि टाटा परिवार के पास टाटा सन्स के केवल 3% शेयर हैं, जबकि मिस्री परिवार के पास उनसे भी अधिक शेयर हैं। आइए हम समझते हैं कि टाटा परिवार बिना अधिक शेयरों के समूह को कैसे नियंत्रित करता है।
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हालांकि, टाटा सन्स का स्वामित्व सीधे तौर पर टाटा परिवार के पास नहीं है। टाटा सन्स के सबसे बड़े शेयरधारक टाटा ट्रस्ट हैं, जिनके पास टाटा सन्स के 66% से अधिक शेयर हैं। टाटा परिवार इसी ट्रस्ट के माध्यम से पूरे समूह को नियंत्रित करता है। रतन टाटा के बाद, उनके सौतेले भाई नोएल टाटा दोनों ट्रस्टों के चेयरमैन बने हैं। यह ट्रस्ट टाटा सन्स में एक तिहाई निदेशकों की नियुक्ति का अधिकार रखता है। रतन टाटा ने इसी अधिकार का उपयोग कर टाटा सन्स के चेयरमैन सायरस मिस्री को हटा दिया था। हालांकि रोज़मर्रा के फैसलों में ट्रस्ट का हस्तक्षेप नहीं होता, लेकिन यह टाटा सन्स में बड़े निर्णय ले सकता है। यही टाटा सन्स बाकी कंपनियों में भी दखल रखता है।
ट्रस्ट को टाटा सन्स से हर साल जो डिविडेंड मिलता है, उसे चैरिटी में खर्च किया जाता है। टाटा सन्स की आय मुख्यतः ग्रुप की कंपनियों से मिलने वाले डिविडेंड से होती है। टाटा कंपनियों के अधिक मुनाफे का अर्थ है चैरिटी के लिए अधिक धन। पिछले साल टाटा ट्रस्ट (Tata Group) को 923 करोड़ रुपये का डिविडेंड मिला था। यह बिज़नेस मॉडल लगभग सौ वर्षों से सफलतापूर्वक चल रहा है।
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रतन टाटा ने पिछले कुछ वर्षों में इस मॉडल में कुछ बदलाव भी किए हैं। उन्होंने 2012 में सायरस मिस्री को अपना उत्तराधिकारी चुना। मिस्री परिवार के पास 18.6% शेयर हैं, और वो पहले चेयरमैन थे जो परिवार के बाहर से थे। विवाद के बाद मिस्री को हटा दिया गया। आमतौर पर टाटा सन्स का चेयरमैन पारसी होता था, लेकिन अब एन चंद्रशेखर को टीसीएस का CEO बनाकर चेयरमैन नियुक्त किया गया है।
अब तक टाटा सन्स का चेयरमैन हमेशा टाटा ट्रस्ट (Tata Group) का भी चेयरमैन होता था, लेकिन रतन ने टाटा सन्स छोड़ने के बाद यह जिम्मेदारी अपने सौतेले भाई नोएल टाटा को सौंप दी है। इसका मतलब यह है कि सभी शक्ति एक व्यक्ति के हाथ में नहीं रहेगी।