मई 2024 में केंद्र सरकार ने इस मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इससे लोगों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। राज्य सरकार ने भी इस प्रस्ताव को खतरनाक और दिशाहीन बताया है।
अगर टोरंटो की मांग को मान लिया जाता, तो यह कनाडा में पहली बार नहीं होता, क्योंकि ब्रिटिश कोलंबिया में पहले से ही इस तरह की योजना लागू है, हालांकि उसके दायरे को सीमित कर दिया गया है। इस सप्ताह दुनिया जहान में हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि क्या कनाडा अपनी ड्रग ओवरडोज़ की समस्या का समाधान खोज पाएगा?
ओटावा में कनेडियन सेंटर ऑन सबस्टंस यूज़ एंड एडिक्शन के प्रमुख, डॉ. अलेक्जेंडर कौडरेला का कहना है कि ओपियोइड ड्रग्स के ओवरडोज़ की समस्या वाकई में बहुत गंभीर है। मौजूदा समस्या बड़े पैमाने पर ओक्सिकोंटीन जैसे सिंथेटिक ओपियोइड की ज़रूरत से ज़्यादा प्रिस्क्रिप्शन के कारण उत्पन्न हुई है। ये सिंथेटिक ओपियोइड्स लैबोरेटरी में तैयार होते हैं और इनका असर हेरोइन जैसे प्राकृतिक ओपियोइड्स के समान होता है, लेकिन ये हज़ारों गुना अधिक शक्तिशाली होते हैं। जैसे-जैसे इनकी मांग बढ़ी, इनके इस्तेमाल पर नियंत्रण लगा दिया गया, लेकिन इससे अवैध सप्लायर सक्रिय हो गए।
डॉ. कौडरेला ने बताया कि फ़ैंटानील जैसे सिंथेटिक ओपियोइड्स का निर्माण करना सस्ता और आसान है, जिसके चलते इनका अवैध रूप से उत्पादन बढ़ गया। इसके अलावा, कई बार हेरोइन और अन्य ड्रग्स में इनकी मिलावट कर दी जाती है, जिससे अनजाने में लोग इनका सेवन कर लेते हैं, जो ओवरडोज़ का कारण बनता है।
कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया राज्य में 2016 में ड्रग ओवरडोज़ से हुई मौतों की संख्या में भारी वृद्धि के कारण स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया गया था। वैंकूवर के पूर्व मेयर केनेडी स्टीवर्ट का कहना है कि वैंकूवर में ड्रग्स की समस्या से निपटने के लिए हमेशा नए विचारों का प्रयोग किया गया है। 2003 में यहां प्रशासन की निगरानी में ड्रग्स के सेवन के लिए केंद्र बनाए गए थे, और 2023 में ड्रग्स को डिक्रिमिनलाइज़ करने की नीति लागू की गई।
ब्रिटिश कोलंबिया राज्य में 2026 तक के लिए ड्रग्स को डिक्रिमिनलाइज़ करने का पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है, जिसमें वयस्कों को 2.5 ग्राम कोकीन, हेरोइन या फ़ैंटानील रखने की अनुमति है। एस्टोनिया में भी पिछले 20 सालों से ड्रग्स को डिक्रिमिनलाइज़ किया गया है, लेकिन वहां के कानूनों के अनुसार, निजी सेवन के लिए छोटी मात्रा में ड्रग्स रखने पर जेल की बजाय जुर्माना लगाया जाता है, जिससे लोग मदद के लिए खुद सामने आते हैं।