मध्य प्रदेश का नक्शा बदलने जा रहा है, जिसमें नए संभाग और जिलों का निर्माण किया जाएगा और सीमाओं को नए सिरे से निर्धारित किया जाएगा। प्रदेश सरकार के अनुसार, वर्तमान सीमाओं में कई विसंगतियां हैं, जो जनता को परेशानी में डाल रही हैं। इन समस्याओं के समाधान के लिए मोहन यादव सरकार ने पूर्व आईएएस मनोज श्रीवास्तव की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग का गठन किया है। इस आयोग का उद्देश्य जिला मुख्यालयों को गांवों के करीब लाना है, ताकि ग्रामीणों को मुख्यालय तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय न करनी पड़े और प्रशासनिक सेवाओं तक उनकी आसान पहुंच हो सके।
मध्य प्रदेश सरकार ने जिले और संभागों की सीमाओं में बदलाव करने का निर्णय लिया है, जो प्रदेश के भौगोलिक और प्रशासनिक मुद्दों को संबोधित करेगा। कई जिले दस हजार स्क्वेयर किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल में फैले हैं, जबकि कुछ केवल तीन हजार स्क्वेयर किलोमीटर या उससे कम हैं। इस विषमताओं के कारण गांववालों को जिला मुख्यालय तक पहुँचने में कठिनाइयाँ पेश आती हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस निर्णय के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि मध्य प्रदेश, जो भौगोलिक दृष्टि से भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, में समय के साथ कई कठिनाइयाँ आई हैं। जिलों की बढ़ती संख्या और उनके सीमांत क्षेत्रीय असमानताएं समस्याएं उत्पन्न कर रही हैं। इसलिए, एक नया परिसीमन आयोग गठित किया गया है, जिसकी जिम्मेदारी पूर्व आईएएस मनोज श्रीवास्तव को सौंपी गई है। यह आयोग आस-पास के क्षेत्रों को एकीकृत कर, जिले की सीमाओं को फिर से तय कर, और लोगों की बेहतरी के लिए कार्य करेगा।
मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा जिला छिंदवाड़ा है, जिसका क्षेत्रफल लगभग 11,815 स्क्वेयर किलोमीटर है। इसके अलावा, इंदौर और छतरपुर का क्षेत्रफल समान रूप से 10,863 स्क्वेयर किलोमीटर है, जबकि शिवपुरी 10,666, सीधी 10,526, और सागर 10,252 स्क्वेयर किलोमीटर में फैले हुए हैं। दूसरी ओर, छोटे जिलों में निवाड़ी का क्षेत्रफल 1,170, मऊगंज का 1,866, अशोकनगर का 2,702, हरदा का 2,644, और भोपाल का 2,772 स्क्वेयर किलोमीटर है।