वर्तमान समय लोकसभा व विधान सभा चुनाव से परे भाजपा संगठन के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। जिसमे प्रारंभिक स्तर पर बूथ अध्यक्ष चुनाव संपन्न हो चुके हैँ। इसके बाद मण्डल व District President के चुनाव की सरगर्मियाँ तेज हो गईं है।
सर्वाधिक चर्चा जिलाध्यक्ष को लेकर हो रहीं है। क्योकि प्रदेश में सत्ताधारी दल का जिलाध्यक्ष होने का अपना एक रुतबा नजर आता है। हालाकि भारतीय जनता पार्टी में अनुशासन की चादर ऐसी लिपटी हुईं है कि जिला ही नही बल्कि प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर का पदाधिकारी भी एक आम कार्यकर्ता की हैसियत से ही संगठन मे काम करता हुआ नजर आता है। उसके लिए पार्टी अलाक़मान का आदेश ही सर्वोपरि होता है।
संगठन चुनाव में भी दूसरे चुनाव की ही तरह कार्यकर्ता व पदाधिकारी उच्च पदों के लिए अपने अपने स्तर पर जोर आजमाइश करतें है। कोई विधायक का करीबी होता तो कोई सांसद का, तो कोई किसी मंत्री का ।अपनी पहुँच व समबन्धों के हिसाब से संगठन चुनाव में भाग लेने वाला प्रत्येक कार्यकर्ता अपने स्तर पर हर संभव प्रयास करता है कि उसके उसकी मंशानुरूप संगठन में पद मिल जाए। चुंकि District President किसी एक व्यक्ति को ही चुनाव जाएगा ,इसलिए अलग-अलग पैनल से नाम पार्टी आला कमान तक भेजे जाते है।
वर्तमान समय शहडोल जिले में वैसे तो दर्जन भर भाजपा कार्यकर्ता जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैँ लेकिन खबरीलाल के सूत्रों के अनुसार महज 5 से 6 नामो के बीच ही किसी एक नाम में से किसी एक पर नए जिलाध्यक्ष के नाम की मुहर अलाक़मान लगा सकता है। District President की दौड़ में सर्वप्रथम वर्तमान भाजपा जिला महामंत्री संतोष लोहानी, जिला उपाध्यक्ष द्वय राकेश तिवारी व शीतल पोद्दार का नाम सबसे आगे चल रहा है । वहीँ इनके अलावा पूर्व भाजयुमो जिलाध्यक्ष अजय सिँह बघेल, अमित मिश्रा के साथ साथ मीनू सिँह, पुष्पेंद्र पटेल ब्योहारी तथा दौलत मनमानी भी जिलाध्यक्ष की दौड़ में शामिल है। सभी का अपना अपना राजनीतिक कैरियर व अनुभव हैँ। इसके साथ ही वर्तमान जिलाध्यक्ष कमल प्रताप सिंह का कार्यकाल दोहराए जाने की भी चर्चाएँ चल रही है ।
इन नामो में कुछ ऐसे लोग भी हैँ जिनका राजनीतिक सफऱ भले ही अन्य वरिष्ठों से भले कुछ कम हो लेकिन पार्टी में इनकी सक्रियता व भागीदारी दूसरों से बेहतर दिखाई दे रही है। इनमे संतोष लोहानी, राकेश तिवारी व शीतल पोद्दार का नाम शामिल है। साथ ही इनके अंदर पार्टी कार्यों के साथ साथ सामाजिक कार्यकुशलता की भी एक अलग छाप दिखाई पड़ती है। पढ़े लिखें एवं सक्रिय पार्टी कार्यकर्ता के रूप में ये तीन नाम वर्तमान समय जिलाध्यक्ष के लिए सबसे उपयुक्त माने जा रहें हैँ।
हालकि इन पदाधिकारी का स्पष्ट रूप से कहना है कि हम पार्टी के एक अदना से कार्यकर्ता के रूप में आज भी कार्य कर रहें है और भविष्य में भी हम पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में ही काम करतें रहेंगे। चाहे संगठन में हमें किसी भी पद से नवाज दिया जाए। इन तीनो पदाधिकारियों की एक ख़ास बात पार्टी कार्यकर्ताओं से बेहतर समन्वय एवं तालमेल भी है। आने वाले समय में अब किसके सिर अध्यक्ष का ताज़ अलाक़मान पहनाएगा, इसके लिए कुछ दिनों तक इन्तेजार करना पडेगा।