सद्भावना दिवस : राजीव गांधी का जन्मदिन 20 अगस्त को सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी विशेष आयोजनों का आयोजन करती है। देशभर में पार्टी सदस्य राजीव गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण करते हैं, और दीपक जलाकर उन्हें याद करते हैं। दिल्ली में राजीव गांधी के समाधि स्थल वीरभूमि पर उनके परिवार, करीबी मित्र, रिश्तेदार, और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एकत्र होते हैं, और अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए वहाँ आते हैं।
राजनीति में प्रवेश : राजीव गांधी की राजनीति में कोई खास रुचि नहीं थी और वे एक एयरलाइन पायलट के रूप में काम कर रहे थे। लेकिन 1980 में अपने छोटे भाई संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद, अपनी मां इंदिरा गांधी की मदद के लिए उन्होंने 1981 में राजनीति में प्रवेश किया।
प्रधानमंत्री का कार्यकाल : राजीव गांधी ने अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बने और 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भारत के प्रधानमंत्री बने। अगले आम चुनावों में उन्होंने सबसे अधिक बहुमत प्राप्त किया और प्रधानमंत्री बने रहे। 1985 में, उन्होंने मुंबई में एआईसीसी के पूर्ण सत्र में ‘संदेश यात्रा’ की घोषणा की, जिसे अखिल भारतीय कांग्रेस सेवा दल ने पूरे देश में चलाया। इस यात्रा ने मुंबई, कश्मीर, कन्याकुमारी और पूर्वोत्तर से चार अलग-अलग मार्गों से यात्रा की और तीन महीने बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में समाप्त हुई।
सूचना क्रांति और अन्य योगदान ; राजीव गांधी को भारत में सूचना क्रांति का जनक माना जाता है। उन्होंने देश के कंप्यूटरीकरण और टेलीकम्युनिकेशन क्रांति को बढ़ावा दिया। उन्होंने स्थानीय स्वराज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण सुनिश्चित किया और मतदाता की उम्र 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी, जिससे युवाओं को मतदान का अधिकार प्राप्त हुआ।
भारत यात्रा : 1990 में, राजीव गांधी ने विभिन्न तरीकों से भारत यात्रा की, जिसमें पदयात्रा और साधारण यात्री ट्रेन की यात्रा शामिल थी। उन्होंने चंपारण को अपनी यात्रा का प्रारंभ बिंदु चुना और 19 अक्टूबर 1990 को हैदराबाद के चारमीनार से सद्भावना यात्रा शुरू की।
हत्या : 21 मई 1991 को चुनाव प्रचार करते समय लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) के आतंकवादियों ने राजीव गांधी की हत्या कर दी। यह घटना एक बम विस्फोट के माध्यम से हुई।
विवाद : राजीव गांधी के परिवार के करीबी बताये जाने वाले इतालवी व्यापारी ओत्तावियो क्वात्रोक्की पर आरोप था कि उन्होंने बोफोर्स तोपों की खरीद के सौदे में दलाली की। इस सौदे का कुल मूल्य 1.3 अरब डॉलर था और आरोप था कि स्वीडन की हथियार कंपनी बोफोर्स ने भारत के साथ सौदे के लिए 1.42 करोड़ डॉलर की रिश्वत दी थी।
इस मामले में राजीव गांधी का नाम अभियुक्तों की सूची में शामिल था, लेकिन उनकी मौत के बाद यह नाम हटा दिया गया। सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गई, लेकिन सरकारें बदलने पर जांच की दिशा भी बदलती रही। सीबीआई ने कई बार प्रयास किया, लेकिन क्वात्रोक्की को भारत लाने में विफल रही। 2007 में, क्वात्रोक्की को अर्जेंटीना में गिरफ्तार किया गया, लेकिन प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में देरी के कारण वह इटली लौट गया। सीबीआई का कहना है कि वह अब क्वात्रोक्की को बोफोर्स दलाली मामले में क्लीन चिट देने की दिशा में जा रही है।
निष्कर्ष : बोफोर्स दलाली का मामला 1989 में राजीव गांधी की सरकार के पतन का कारण बना और विश्वनाथ प्रताप सिंह हीरो के रूप में उभरे। हालांकि, उनकी सरकार भी इस मामले का पूरा सच सामने लाने में विफल रही। इस मुद्दे ने समय-समय पर भारत में राजनीतिक हलचल मचाई है, और आज भी बोफोर्स दलाली एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है।