हरियाणा विधानसभा चुनाव में चर्चित चेहरों और बागियों के शामिल होने से मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। भाजपा, कांग्रेस, इनेलो-बसपा, जजपा-आसपा और आप के प्रत्याशियों ने 49 दिनों के प्रचार में मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया है। कई निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर रहे हैं। हिसार और डबवाली जैसे प्रमुख क्षेत्रों में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है, जहां राजनीतिक विरासत संभालने के लिए कई परिवारों के सदस्य चुनावी मैदान में हैं।
हिसार: भाजपा के डॉ. कमल गुप्ता एक बार फिर चुनावी दौड़ में हैं, लेकिन उन्हें बागी उम्मीदवार सावित्री जिंदल और कांग्रेस के रामनिवास राड़ा से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। खासकर सावित्री जिंदल के समर्थन से वैश्य समाज और अन्य स्थानीय समुदायों का रुझान उनके पक्ष में है।
डबवाली: यहां ताऊ देवीलाल के परिवार से तीन प्रमुख उम्मीदवार आमने-सामने हैं। कांग्रेस, इनेलो और जजपा के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। इनेलो के आदित्य देवीलाल की स्थिति मजबूत बताई जा रही है, लेकिन कांग्रेस और जजपा के उम्मीदवार भी कड़ी प्रतिस्पर्धा में हैं।
तोशाम: पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल के गढ़ तोशाम में उनके पोते अनिरुद्ध चौधरी (कांग्रेस) और पोती श्रुति चौधरी (भाजपा) आमने-सामने हैं। 26 साल बाद दोनों परिवारों के बीच सीधी टक्कर हो रही है। इस मुकाबले में निर्दलीय शशिरंजन परमार की एंट्री ने स्थिति को और रोचक बना दिया है। परमार जितने वोट लेंगे, उतनी ही मुश्किलें श्रुति और अनिरुद्ध के लिए बढ़ेंगी।
सिरसा: सिरसा में गोपाल कांडा (हलोपा) और गोकुल सेतिया (कांग्रेस) के बीच घमासान मचा है। कांडा को भाजपा और इनेलो का समर्थन मिला है, जबकि सेतिया अकेले हैं। दोनों प्रत्याशी नशे और विकास के मुद्दों पर एक-दूसरे से मुकाबला कर रहे हैं। पिछली बार सेतिया 602 वोटों से हार गए थे, लेकिन इस बार कांग्रेस के उत्साह और सरकार विरोधी लहर से स्थिति बदल सकती है।
रानियां: इस चुनावी मुकाबले में दादा चौधरी रणजीत सिंह और पोते अर्जुन चौटाला के बीच प्रारंभिक टक्कर के बाद मुकाबला बहुकोणीय हो गया है। कांग्रेस के सर्वमित्र कांबोज, भाजपा के शीशपाल कांबोज और आप के हरपिन्द्र कांबोज भी मैदान में हैं। प्रारंभिक खींचतान के बावजूद, हुड्डा परिवार के दौरे से माहौल में सकारात्मक बदलाव आया है।
जुलाना: जाट बनाम ब्राह्मण की लड़ाई में ओलंपियन विनेश फोगाट का जाट चेहरा कांग्रेस के लिए सहारा है। भाजपा ने योगेश बैरागी को ओबीसी वोटों को साधने के लिए उतारा है। बागी डॉ. सुरेंद्र लाठर इनेलो से लड़ रहे हैं, जबकि जजपा के अमरजीत ढांडा भी मैदान में हैं। वोटों का बंटवारा विनेश के लिए खतरनाक हो सकता है।
उचाना कलां: यहां जाट मतदाता प्रमुख हैं, जिसमें पूर्व सांसद बृजेंद्र सिंह (कांग्रेस), दुष्यंत चौटाला (जजपा), और देवेंद्र अत्री (भाजपा) शामिल हैं। यदि जाट वोट बंटते हैं, तो भाजपा को फायदा हो सकता है। किसान आंदोलन का विरोध सभी प्रत्याशियों पर प्रभाव डाल रहा है।
नूंह:
नूंह में कांग्रेस और इनेलो के बीच मुख्य मुकाबला हो रहा है। इनेलो से ताहिर हुसैन और कांग्रेस से आफताब अहमद की टक्कर है। इस क्षेत्र में शहरी क्षेत्रों में कांग्रेस और ग्रामीण क्षेत्रों में इनेलो की हवा है।
लाडवा:
लाडवा की सीट ओबीसी और जाट वोट बैंक पर निर्भर है। भाजपा के नायब सैनी और कांग्रेस के मेवा सिंह मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं। जाट वोटों के बंटने से भाजपा को फायदा हो सकता है।
जगाधरी:
भाजपा और कांग्रेस में कड़ा मुकाबला है, लेकिन बसपा-इनेलो गठबंधन और आप भी शामिल हैं। अगर दलित और मुस्लिम वोट बंटते हैं, तो भाजपा को फायदा हो सकता है।
अंबाला छावनी:
भाजपा के अनिल विज और कांग्रेस के परविंदर सिंह परी के साथ निर्दलीय चित्रा सरवारा रोड़ा भी मैदान में हैं। चित्रा की उपस्थिति से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।
बादशाहपुर:
यहां भाजपा के राव नरबीर और युवा कांग्रेस नेता वर्धन यादव के बीच मुकाबला हो रहा है। निर्दलीय कुमुदनी भी समीकरणों को प्रभावित कर सकती हैं।