अक्षय तृतीया पर करें इन मंदिरों के दर्शन, हर इच्छा होगी पूरी
अक्षय तृतीया हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पावन पर्व माना जाता है। इस दिन को बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है। परंपराओं के अनुसार इस दिन नए कार्यों की शुरुआत, सोने की खरीदारी, वाहन या घर खरीदने को अत्यंत शुभ माना गया है। मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। ऐसे में भारत के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में अक्षय तृतीया के अवसर पर विशेष आयोजन होते हैं, जहां जाकर दर्शन करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होने की मान्यता है।
वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर
अक्षय तृतीया के दिन वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर दुल्हन की तरह सजाया जाता है। साल भर भगवान के चरण कमलों को ढक कर रखा जाता है, लेकिन इस खास दिन पर भक्तों को उनके पावन चरणों के दर्शन करने का अवसर मिलता है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि इस दिन बांके बिहारी के दर्शन मात्र से जीवन की सभी इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं।
तमिलनाडु का कुंभकोणम मंदिर
तमिलनाडु के कुंभकोणम मंदिर में अक्षय तृतीया के अवसर पर गरुड़ सेवई उत्सव का आयोजन होता है। इस उत्सव में भव्य झांकियाँ और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वहीं, आंध्र प्रदेश के सिंहाचलम मंदिर में भी अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। यहां भगवान वराह नरसिम्हा को चंदन के लेप से सजाया जाता है और इस दिन विशेष दर्शन का लाभ भक्तों को प्राप्त होता है।
गौड़ीय वैष्णव मंदिर की चंदन यात्रा
अक्षय तृतीया के दिन गौड़ीय वैष्णव मंदिरों में चंदन यात्रा का आयोजन किया जाता है। परंपराओं के अनुसार गर्मी के मौसम में भगवान को ठंडक पहुँचाने के लिए चंदन का लेप किया जाता है। इस दिन भव्य कार्यक्रम और यात्रा का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं और भगवान के दर्शन कर पुण्य अर्जित करते हैं।
ओडिशा का जगन्नाथ मंदिर
ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में भी अक्षय तृतीया का दिन बेहद खास होता है। इसी दिन से रथ यात्रा के लिए रथों के निर्माण कार्य की शुरुआत होती है। भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा के लिए विशाल रथ बनाए जाते हैं। इस विशेष अवसर पर मंदिर परिसर में भव्य समारोह का आयोजन होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
बद्रीनाथ मंदिर में कपाट खुलने का शुभ अवसर
उत्तराखंड के प्रसिद्ध बद्रीनाथ मंदिर के कपाट भी अक्षय तृतीया के दिन खोले जाते हैं। दिवाली के बाद मंदिर के कपाट छह महीनों तक बंद रहते हैं और फिर इसी पावन दिन पर खुलते हैं। श्रद्धालु इस क्षण का बेसब्री से इंतजार करते हैं और कपाट खुलने के साथ ही भगवान विष्णु के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य करते हैं।