भारत-पाक तनाव पर अमेरिका की मध्यस्थता, शहबाज शरीफ ने रखी अपनी बात
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव गहराता जा रहा है। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद क्षेत्र में बेचैनी और सुरक्षा संकट की स्थिति बन गई है। इसी बीच अमेरिका ने इस बढ़ते तनाव पर चिंता जताते हुए दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है।
अमेरिकी विदेश मंत्री की शहबाज शरीफ से बातचीत
बुधवार को अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से फोन पर बातचीत की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच क्षेत्र में बढ़ते तनाव, आतंकवाद और भारत-पाक संबंधों को लेकर गंभीर चर्चा हुई। पाकिस्तान की ओर से कहा गया कि वह शांति का पक्षधर है और पहलगाम हमले से उसका कोई संबंध नहीं है।
शरीफ ने अमेरिका से की अपील
बातचीत के बाद पाकिस्तान सरकार की ओर से जारी बयान में बताया गया कि शहबाज शरीफ ने अमेरिका से आग्रह किया है कि वह भारत पर कूटनीतिक दबाव बनाए ताकि दोनों देशों के बीच शांति बनी रहे। शरीफ ने यह भी कहा कि भारत ‘सिंधु जल संधि’ को राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है, जो अनुचित है।
भारत पर गंभीर आरोप
पाकिस्तान ने इस बातचीत के दौरान भारत पर ‘भड़काऊ और आक्रामक रवैया’ अपनाने का आरोप लगाया। शरीफ ने यह भी कहा कि भारत की ऐसी नीतियां पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ चल रहे प्रयासों को बाधित कर सकती हैं। उनका मानना है कि भारत की उकसावे वाली गतिविधियां क्षेत्र में अस्थिरता फैला सकती हैं।
सैन्य हमले का दावा
पाकिस्तान ने एक और बड़ा दावा करते हुए कहा है कि उसे पक्की खुफिया जानकारी मिली है कि भारत अगले 24 से 36 घंटों में सैन्य कार्रवाई की तैयारी में है। पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि भारत पहलगाम हमले को बहाना बनाकर पाकिस्तान पर हमला कर सकता है।
निष्पक्ष जांच की पेशकश
पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने प्रस्ताव रखा है कि इस आतंकी हमले की निष्पक्ष, पारदर्शी और स्वतंत्र जांच के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ आयोग बनाया जाए। उनका दावा है कि पाकिस्तान खुद आतंकवाद का पीड़ित देश रहा है और वो हर तरह के आतंकवाद की निंदा करता है।
आने वाले कदम
इस घटनाक्रम के बीच अमेरिका के विदेश मंत्री भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी बातचीत करने वाले हैं, ताकि दोनों पक्षों के विचार सुने जा सकें और किसी भी प्रकार के टकराव को रोका जा सके।