पाकिस्तान-तालिबान युद्ध भारत के लिए खतरा, क्यों मोदी सरकार को चिंता?
तालिबान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते संघर्ष का असर
पाकिस्तान और तालिबान के बीच हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान ने दिसंबर में अफगानिस्तान पर हमला कर 46 लोगों की हत्या कर दी थी, जिसके बाद तालिबान ने पलटवार किया। पाकिस्तान का दावा है कि ये हमला, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के हमले का बदला था, जिसमें 16 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे। इसके बाद तालिबान ने पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में हमला किया। 29 दिसंबर को तालिबान के आंतरिक मंत्रालय में हुए विस्फोट में 10 लोग मारे गए। पाकिस्तान और तालिबान के बीच बढ़ती हिंसा भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकती है।
बलूच विद्रोह और पाकिस्तान की समस्याएँ
तालिबान और पाकिस्तान के संघर्ष में बलूच विद्रोहियों का भी महत्वपूर्ण हाथ है। बलूच विद्रोही पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और चीनी नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। बलूचिस्तान में हालात इतने खराब हो गए हैं कि पाकिस्तान को ग्वादर एयरपोर्ट का उद्घाटन तीन बार टालना पड़ा। इन घटनाओं ने पाकिस्तान के खोखले संस्थानों की सीमाओं को उजागर किया है। पाकिस्तान के उग्रवाद को बढ़ावा देने के दशकों पुराने प्रयास अब उसके लिए समस्या बन गए हैं।
पाकिस्तान-तालिबान संघर्ष का मूल कारण
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच विवाद का प्रमुख कारण डूरंड रेखा है, जो ब्रिटिश शासन के दौरान खींची गई थी। यह सीमा पश्तूनों को दो देशों के बीच विभाजित करती है और अफगानिस्तान ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया। पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क का सहारा लिया, लेकिन इस मुद्दे पर कोई समाधान नहीं निकल सका। 2021 के बाद से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते और भी खराब हो गए हैं। तालिबान का शासन अफगानिस्तान में कमजोर होने पर पाकिस्तान को फायदा हो सकता है, जबकि भारत को नुकसान होगा।
चीन का अफगानिस्तान में बढ़ता प्रभाव
अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान छोड़ने के बाद, चीन ने इस क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाया है। चीन अब पाकिस्तान और बांग्लादेश को हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान को चीन से 40 जे-35 लड़ाकू विमान मिलने की योजना है। चीन, पाकिस्तान और भारत के बीच अफगानिस्तान में प्रभाव जमाने की होड़ मची हुई है।
तालिबान और पाकिस्तान के संघर्ष से भारत को क्या खतरा?
तालिबान के साथ बढ़ते संपर्कों के कारण पाकिस्तान को नुकसान हो सकता है और भारत को इसका सीधा असर हो सकता है। भारत अफगानिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने की कोशिश कर रहा है ताकि मध्य पूर्व की कूटनीति को बढ़ावा दिया जा सके। हालांकि, अगर तालिबान का शासन कमजोर होता है, तो पाकिस्तान को इससे फायदा होगा और भारत की स्थिति कमजोर हो सकती है।
पाकिस्तान को कैसे मात दे सकता है तालिबान?
तालिबान की ताकत और पाकिस्तान की सैन्य शक्ति में अंतर है, लेकिन पाकिस्तान की लंबे समय तक चली आ रही आंतरिक समस्याओं ने उसकी स्थिति को कमजोर किया है। अफगानिस्तान में पाकिस्तान का व्यापार मार्ग प्रभावी रूप से काम कर रहा है, लेकिन अगर अफगानिस्तान अपने व्यापार मार्गों को ईरान के बंदरगाहों से जोड़ता है, तो पाकिस्तान का प्रभाव कमजोर हो सकता है।
भारत की रणनीतिक स्थिति
भारत ने ईरान और अफगानिस्तान के बीच व्यापार के लिए चाबहार बंदरगाह को बढ़ावा दिया है, जो पाकिस्तान के कराची बंदरगाह से एक विकल्प बन सकता है। हालांकि, व्यापार मार्गों में बदलाव से पाकिस्तान का प्रभाव कम हो सकता है। इस भू-राजनीतिक संघर्ष का मानवता पर भारी असर पड़ा है, क्योंकि इसे सटीक सीमाओं के बिना खींचा गया है और लोगों के बीच हिंसा और धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा मिला है।