अमेरिका में ट्रंप के मार्शल लॉ लगाने की अटकलें तेज़, जानें पूरा मामला
अमेरिका के पूर्व और वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है 20 अप्रैल से मार्शल लॉ लागू करने की चर्चा। सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में तेजी से यह सवाल उठ रहा है – क्या ट्रंप वाकई देश में सैन्य शासन लागू करने जा रहे हैं? आइए जानते हैं पूरा मामला विस्तार से।
क्या है चर्चा की वजह?
20 जनवरी को दोबारा राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद ट्रंप ने अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर नेशनल इमरजेंसी घोषित कर दी थी। उसी के साथ उन्होंने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें अमेरिका के 1807 के विद्रोह अधिनियम (Insurrection Act) का ज़िक्र था। इस आदेश में कहा गया कि 90 दिनों के भीतर यानी 20 अप्रैल तक यह तय किया जाएगा कि क्या इस अधिनियम को लागू कर अमेरिकी सैनिकों को देश के भीतर तैनात किया जाए।
क्या है 1807 का विद्रोह अधिनियम?
यह अधिनियम अमेरिकी राष्ट्रपति को यह अधिकार देता है कि वह देश में यदि विद्रोह, आंतरिक हिंसा या कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है, तो सैन्य बलों की तैनाती कर सके। पहले भी इसका उपयोग 1950-60 के दशक में सिविल राइट्स मूवमेंट और 1992 के लॉस एंजेल्स दंगों के समय किया जा चुका है।
इस अधिनियम की खास बात यह है कि यह राष्ट्रपति को पॉस कॉमिटेटस अधिनियम को भी निष्क्रिय करने की अनुमति देता है, जो सामान्यतः सेना को नागरिक मामलों में दखल से रोकता है। यानी इस कानून के तहत राष्ट्रपति को अधिकार मिलता है कि वह सेना को देश के भीतर किसी भी स्थान पर तैनात कर सके।
क्या यह मार्शल लॉ होगा?
यहां सबसे बड़ा सवाल यही उठता है – क्या यह कदम मार्शल लॉ जैसा ही होगा? दरअसल, दोनों में फर्क है। मार्शल लॉ तब लागू किया जाता है जब पूरे प्रशासन और कानून व्यवस्था का नियंत्रण सेना के हाथों में चला जाता है। इसमें सेना नागरिक सरकार की जगह ले लेती है।
वहीं, विद्रोह अधिनियम केवल सेना को नागरिक प्रशासन की मदद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, न कि उन्हें पूरी तरह बदलने के लिए। इसमें फैसले का नियंत्रण राष्ट्रपति के पास ही रहता है, जबकि मार्शल लॉ में कमान सेना के शीर्ष अधिकारियों को सौंप दी जाती है।
ट्रंप के इरादे को लेकर बढ़ रही हलचल
हालांकि, अभी तक आधिकारिक रूप से ट्रंप ने मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा नहीं की है। लेकिन उनके आदेश और 20 अप्रैल की तारीख को लेकर जो शर्तें रखी गई थीं, उनसे अटकलें तेज हो गई हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ट्रंप 1807 के अधिनियम को लागू करते हैं, तो वह कानूनी रूप से वैध होगा, लेकिन इससे अमेरिका की आंतरिक राजनीति में उथल-पुथल मच सकती है।
निष्कर्ष
फिलहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि 20 अप्रैल को क्या वाकई कोई बड़ा कदम उठाया जाता है या यह सिर्फ राजनीतिक दबाव का हिस्सा है। लेकिन एक बात तय है कि ट्रंप के हालिया फैसले दुनिया भर की निगाहें अमेरिका पर टिकाए हुए हैं।