भारत-त्रिनिदाद समझौते से स्वदेशी दवाओं और संस्कृति को मिलेगा नया पंख
कैरेबियाई दौरे में हुआ छह क्षेत्रों में समझौता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुप्रतीक्षित कैरेबियाई यात्रा के दौरान भारत और त्रिनिदाद एवं टोबैगो के बीच छह महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इन समझौतों का मकसद दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करना है। इनमें बुनियादी ढांचा, फार्मास्यूटिकल्स, विकास परियोजनाएं, शिक्षा, खेल, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और डिप्लोमैटिक ट्रेनिंग जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
फार्मास्यूटिकल्स को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय बाजार
भारत और त्रिनिदाद के बीच हुए छह समझौतों में सबसे अहम समझौता भारतीय फार्माकोपिया (Pharmacopoeia) को लेकर रहा। इस समझौते के तहत भारत की फार्मास्यूटिकल कंपनियों को त्रिनिदाद और टोबैगो के बाजार में प्रवेश का मौका मिलेगा। इससे भारत की स्वदेशी दवाओं को एक नया अंतरराष्ट्रीय बाजार मिलेगा, जो न सिर्फ उद्योग को प्रोत्साहन देगा बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंचेगा।
विकास परियोजनाओं में साझेदारी
एक अन्य समझौता दोनों देशों के बीच क्विक इम्पैक्ट प्रोजेक्ट्स (QIP) को लेकर हुआ है। ये परियोजनाएं स्थानीय जरूरतों के अनुसार छोटी अवधि में पूरी की जाती हैं और इसका उद्देश्य है विकास सहयोग को नई गति देना। इस साझेदारी से दोनों देशों को स्थानीय स्तर पर बुनियादी ढांचे के विकास में मदद मिलेगी।
शिक्षा और भाषा के क्षेत्र में भी सहयोग
त्रिनिदाद और टोबैगो की यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्ट इंडीज (UWI) में हिंदी और इंडियन स्टडीज को लेकर भी महत्वपूर्ण समझौता किया गया। इसके तहत इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस (ICCR) की ओर से हिंदी चेयर को फिर से स्थापित किया जाएगा। साथ ही 2025 से 2028 तक सांस्कृतिक आदान-प्रदान का कार्यक्रम भी लागू किया जाएगा, जिससे भारत की संस्कृति और भाषा को वैश्विक पहचान और सम्मान मिलेगा।
खेल और डिप्लोमैटिक ट्रेनिंग में भी सहयोग
भारत और त्रिनिदाद के बीच खेल और कूटनीतिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी सहयोग के लिए सहमति बनी है। इससे दोनों देशों के युवा और प्रशासनिक अधिकारी आपस में अनुभव साझा कर सकेंगे और एक-दूसरे की व्यवस्थाओं से सीख सकेंगे।
प्रवासी भारतीयों को मिला बड़ा तोहफा
प्रधानमंत्री मोदी ने त्रिनिदाद में बसे भारतीय प्रवासियों के लिए एक बड़ा ऐलान किया। उन्होंने “ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया” (OCI) कार्ड की सुविधा को छठी पीढ़ी तक बढ़ाने की घोषणा की। इससे उन प्रवासी भारतीयों को भारत से भावनात्मक और कानूनी रूप से जोड़े रखने में मदद मिलेगी, जिनके पूर्वज वर्षों पहले इस द्वीपीय देश में आकर बसे थे।
निष्कर्ष
भारत और त्रिनिदाद एवं टोबैगो के बीच हुए ये छह समझौते सिर्फ कागज़ी दस्तावेज़ नहीं, बल्कि दोनों देशों की मित्रता को नई दिशा देने वाले कदम हैं। इससे भारत की दवाओं, भाषा, संस्कृति और विकास योजनाओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर विस्तार मिलेगा और साथ ही भारत की विदेश नीति को भी एक नई मजबूती मिलेगी।