मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर चिंता जताते हुए एक नई घटना सामने आई है। सीधी जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिमरिया में डॉक्टर की अनुपस्थिति के कारण एक 6 वर्षीय बालक की मौत हो गई। बच्चे की मां, रिन्नू बाई सिंह, ने अपने बेटे प्रवेश सिंह गोड को उल्टी और दस्त की समस्या के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिमरिया लाया था। लेकिन वहां ड्यूटी पर कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था, जिससे बच्चे की स्थिति बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।
यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और डॉक्टरों की अनुपस्थिति पर सवाल खड़ा करती है, खासकर जब सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं पर भारी रकम खर्च कर रही है। इस मामले में अधिकारियों को जिम्मेदारी तय करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि इस तरह की लापरवाही की पुनरावृत्ति न हो।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सेमरिया की स्थिति बेहद चिंताजनक है। बीएमओ डॉक्टर आरके वर्मा, जो कि इस केंद्र के प्रमुख हैं, का मुख्यालय सीधी है और उनकी नियमित उपस्थिति भी नहीं होती। इससे ड्यूटी के दौरान मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जैसा कि हाल की घटना में देखा गया, जिसमें एक बालक की मौत हो गई क्योंकि वहां डॉक्टर मौजूद नहीं थे।
यह पहली बार नहीं है जब ऐसे हालात सामने आए हैं। इससे पहले भी कई बार मरीजों को डॉक्टर की अनुपस्थिति के कारण जान गंवानी पड़ी है। यह स्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि स्वास्थ्य केंद्रों में आवश्यक चिकित्सा सुविधा और नियमित निगरानी की कमी है, जो मरीजों की जान को जोखिम में डाल रही है। जब इस घटना की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई, तो उन्होंने केवल जांच कार्रवाई का आश्वासन दिया और तत्काल कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यदि चिकित्सक समय पर उपलब्ध होते, तो शायद बालक को उचित इलाज मिल सकता था और उसकी जान बचाई जा सकती थी।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सेमरिया में रात के समय ताला लग जाने और डॉक्टरों और अन्य चिकित्सकीय अमले की अनुपस्थिति की जानकारी अत्यंत गंभीर है। यह स्वास्थ्य सेवाओं में एक बड़ी कमी को दर्शाता है और बीएमओ डॉक्टर आरके वर्मा की लापरवाही को उजागर करता है।डॉक्टर आरके वर्मा को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सेमरिया की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन उनकी नियमित उपस्थिति की कमी और सीधी में रहने के कारण उनकी ड्यूटी के समय में भी स्वास्थ्य केंद्र में कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं रहती।