अधिकारियों के अनुसार, बंदूकधारी लोगों को उनकी गाड़ियों से उतारकर पहचान की जांच करने के बाद उनकी हत्या कर रहे थे। यह हमला शनिवार से रविवार की रात के बीच बलूचिस्तान के एक राजमार्ग पर हुआ। यहाँ सुरक्षा बल सांप्रदायिक, जातीय और अलगाववादी हिंसा का सामना कर रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि हथियारबंद लोगों ने पहचान पत्र की जांच की और पंजाब के लोगों की पहचान करने के बाद उन्हें गोली मारी। उन्होंने कई वाहनों को भी आग लगा दी। बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है और इसे ‘ऑपरेशन हीरोफ’ नाम दिया है, जो बलूचिस्तान के प्रसिद्ध नेता नवाब अकबर बुगती की 18वीं पुण्यतिथि पर किया गया।
मूसाखेल ज़िला बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से लगभग 450 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है और यहाँ की अधिकांश आबादी पश्तून मूसाखेल जनजाति की है। इस हमले से मूसाखेल, लासबेला, कलात और मस्तुंग के विभिन्न क्षेत्रों में सबसे अधिक नुकसान हुआ है। मूसाखेल के पुलिस प्रमुख मोहम्मद अयूब अचकजई ने कहा कि इस हमले में 22 लोग मारे गए हैं और मृतकों व घायलों की पहचान की प्रक्रिया जारी है। हथियारबंद लोगों ने 18 वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया, जिनमें यात्री बसें और ट्रक शामिल हैं।
मूसाखेल के सहायक आयुक्त नजीबुल्लाह ने बताया कि बंदूकधारियों ने पंजाब और बलूचिस्तान के बीच चलने वाले वाहनों के पहचान पत्र देखकर कई लोगों की हत्या की। उन्होंने कहा कि इस हमले में करीब 30 से 40 चरमपंथी शामिल थे। इस फायरिंग में 5 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से एक की हालत गंभीर है और उन्हें इलाज के लिए डेरा गाजी खान भेजा गया है।
सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया में कम से कम 12 चरमपंथियों के मारे जाने की खबर है, जबकि कई चरमपंथी घायल भी हुए हैं। बीएलए ने कहा है कि वह आम लोगों के वेश में यात्रा कर रहे सैन्य कर्मियों को निशाना बना रहा है और बलूचिस्तान के सभी प्रमुख राजमार्गों पर पूरी तरह से नियंत्रण स्थापित कर लिया है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने मूसाखेल में हुई घटना की निंदा की है और तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री मीर सरफ़राज़ बुगती ने भी घटना पर रिपोर्ट मांगी है और कानून व्यवस्था पर आपात बैठक बुलाई है।
बलूचिस्तान में कई चरमपंथी समूह सक्रिय हैं, जिनमें बीएलए और बीएलएफ सबसे प्रमुख हैं। बीएलए पाकिस्तान की सत्ता को सबसे अधिक चुनौती देने वाला समूह है। पाकिस्तान ने ईरान पर इन समूहों के नेताओं को पनाह देने का आरोप लगाया है, जबकि ईरान इससे इनकार करता है। भारत पर भी बलूचिस्तान में कुछ गुटों को आर्थिक मदद देने का आरोप लगाया गया है, जिसे भारत ने खारिज कर दिया है।