हमारे स्वास्थ्य विशेषज्ञ अक्सर यह सलाह देते हैं कि बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित होना चाहिए, क्योंकि यह उनके विकास में बाधा डाल सकता है। अधिक स्क्रीन टाइम बच्चों को आक्रामक, आलसी और सुस्त बना सकता है, हालांकि, यह भी सच है कि स्क्रीन का आकर्षण बच्चों को लुभाता है और उन्हें कुछ सकारात्मक करने के लिए प्रेरित भी कर सकता है।इसलिए, तकनीकी विकास के इस दौर में बच्चों के लिए इसकी समझ होना जरूरी है, लेकिन अत्यधिक उपयोग से बच्चों को इसकी लत लग सकती है, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। आइए जानते हैं कि अत्यधिक स्क्रीन टाइम के बच्चों पर कौन-कौन से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं।
1. शारीरिक गतिविधियों में कमी और मोटापे का बढ़ना:- अधिक समय तक स्क्रीन पर समय बिताने से बच्चों की शारीरिक गतिविधियां कम हो जाती हैं। वे बाहर खेलने की बजाय ज्यादातर समय सोफे या बिस्तर पर बिताते हैं, जिससे मोटापे की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
2. नींद की समस्याएं :- लंबे समय तक स्क्रीन देखने और विशेष रूप से सोने से पहले स्मार्टफोन का उपयोग करने से बच्चों की नींद का पैटर्न खराब हो सकता है। इसका कारण स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट होती है, जो मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को कम करती है। मेलाटोनिन नींद को नियंत्रित करता है, और इसका कम होना नींद में बाधा डालता है।
3. एंजाइटी और डिप्रेशन :- अधिक समय तक स्क्रीन देखने से बच्चों में सहानुभूति और सहयोग जैसे नैतिक मूल्यों की कमी हो सकती है, जिससे वे अकेलापन पसंद करने लगते हैं। यह स्थिति उन्हें एंजाइटी या डिप्रेशन का शिकार बना सकती है।
4. **आंखों की समस्याएं :- लंबे समय तक स्क्रीन देखने से बच्चों की आंखों में कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे आंखों से पानी आना और धुंधला दिखना। इसे डिजिटल आई स्ट्रेन कहा जाता है।
5. संज्ञानात्मक विकास में कमी :- 18 माह से 3 साल की उम्र में बच्चों में भाषा का विकास तेजी से होता है। इस दौरान बच्चे अपने परिवार के साथ खेल-खेल में बोलना सीखते हैं, और 4 साल की उम्र के बाद उनका साक्षरता विकास भी शुरू हो जाता है। लेकिन जो बच्चे स्क्रीन के साथ अधिक समय बिताते हैं, उनमें संज्ञानात्मक विकास में देरी हो सकती है।