मध्य प्रदेश के कई जिलों में एक बार फिर से मूसलाधार बारिश का सिलसिला तेज हो गया है। खासतौर पर सिवनी, बालाघाट और मंडला जिलों में मंगलवार को रिकॉर्ड तोड़ बारिश हुई। सिवनी जिले में सोमवार रात से शुरू हुई बारिश बुधवार सुबह तक बिना रुके जारी रही। मंगलवार सुबह 8:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक सिवनी में 162 मिमी बारिश दर्ज की गई। लगातार हो रही इस भारी बारिश ने हालात खराब कर दिए हैं, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
सिवनी के साथ-साथ अन्य जिलों में भी अच्छी मात्रा में बारिश दर्ज की गई है। बालाघाट में 78 मिमी, मंडला में 69 मिमी, छिंदवाड़ा में 57 मिमी, उमरिया और गुना में 23 मिमी, पचमढ़ी में 22 मिमी, खरगोन में 17 मिमी, नरसिंहपुर में 13 मिमी, धार में 12 मिमी, सागर में 9 मिमी, जबलपुर और रतलाम में 8 मिमी, भोपाल में 6 मिमी, रीवा में 5 मिमी, सतना में 4 मिमी, इंदौर में 3 मिमी, और दमोह व बैतूल में 2-2 मिमी बारिश दर्ज की गई।
मौसम विभाग के अनुसार, छत्तीसगढ़ पर बना अवदाब का क्षेत्र अब गहरे कम दबाव के क्षेत्र में बदल गया है, जो पूर्वी मध्य प्रदेश के आसपास सक्रिय है। इसके साथ ही मानसून द्रोणिका (ट्रफ लाइन) प्रदेश से होकर गुजर रही है, जिससे मध्य प्रदेश में लगातार झमाझम बारिश हो रही है। इस मौसम प्रणाली के चलते अगले कुछ दिनों तक प्रदेश में भारी बारिश का अनुमान है।
मौसम विभाग ने बुधवार को मध्य प्रदेश के जबलपुर, सागर, नर्मदापुरम और भोपाल संभाग के जिलों में अति भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। ग्वालियर और उज्जैन संभाग के कुछ जिलों में भी भारी बारिश की संभावना जताई गई है, जबकि शेष प्रदेश में मध्यम स्तर की बारिश हो सकती है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, पूर्वी मध्य प्रदेश के आसपास गहरा कम दबाव का क्षेत्र सक्रिय है, और मानसून द्रोणिका उमरिया, बीकानेर, कोटा, गुना से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक फैली हुई है। ये मौसमीय तंत्र प्रदेश के मौसम को प्रभावित कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि गुरुवार और शुक्रवार को भी राज्य में अच्छी बारिश जारी रह सकती है। लोगों को सतर्क रहने और आवश्यक एहतियात बरतने की सलाह दी गई है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, 1 जून से शुरू हुए मानसूनी सीजन से 10 सितंबर तक मध्य प्रदेश में 942.8 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य बारिश (862.5 मिमी) की तुलना में 9% अधिक है। पूर्वी मध्य प्रदेश में अब तक औसत से 5% अधिक बारिश हुई है, जबकि पश्चिमी मध्य प्रदेश में औसत से 13% अधिक वर्षा हो चुकी है। इस अतिरिक्त बारिश के कारण राज्य के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं और जनजीवन प्रभावित हो रहा है।