जो वर्षो पहले अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे उन्होंने लिए थे। उनके मासूम बच्चों के भविष्य के बारे मे सोचने को मजबूर किया गया। न्यायधीश और अधिवक्ता के प्रयास के बाद आखिरकार उक्त दंपत्ति के सारे गिले शिकवे कुछ ही देर मे दूर हो गए। इसके बाद दोनों ख़ुशी ख़ुशी अपने घर को रवाना हो गए।
दरअसल आज बुढ़ार न्यायालय मे लोक अदालत का आयोजन किया गया था। जहाँ करीब दो सौ पचास मामलो का आपस मे सुलह कराकर निपटारा कराया गया। इन्ही मे से एक मामला ग्राम नौगई थाना बुढ़ार निवासी राजबहोर सिँह एवं उसकी पत्नी बीना उर्फ़ पूनम निवासी अमलाई का भी था।
जिनका विवाह वर्ष 2014 मे हुआ था लेकिन पति के शराब पीने की आदत से तंग आकर बिना दो वर्ष पहले अपने मायके आ गई थी। दंपत्ति के दो बच्चे भी थे। दोनों के बीच नाराजगी इतनी बढ़ गई थी कि पत्नी ने सामाजिक रुप मे तलाक तक की अर्जी दे डाली थी। बाद मे मामला बुढ़ार न्यायालय पहुँचा।
जहाँ आज न्यायधीश ऋषभ दीक्षित एवं प्रकरण मे पति की ओर से अधिवक्ता नीतेश सिँह व उनके सहयोगी अधिवक्ताओ और पत्नी के वकील गिरीश साहू के प्रयास से एक बिखरे हुए परिवार को समझाइश देकर एक करा दिया गया। जिसके बाद कल तक तलाक के जिद पर अड़ी पत्नी का गुस्सा भी शांत हो गया और फिर वह राज़ी ख़ुशी पति के साथ ससुराल चली गई। इसी प्रकार एक अन्य भरण पोषण के मामले मे इसी प्रकार दंपत्ति के बीच के गिले शिकवे दूर कर उन्हें एक साथ घर रवाना कर मामले को समाप्त कर दिया गया। इन करीब ढाई सौ से अधिक मामलो के निराकरण कर सुलह कराने में न्यायधीश श्री दीक्षित के अलावा अन्य न्यायधीशगण एडीजे सुमन उइके, विजेंद्र सिंह रावत, आकांक्षा टेकाम तथा लक्ष्मण रोहित शामिल रहें ।