सेब विटामिन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत हैं, और इनमें विटामिन C और विटामिन A अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। कई एक्सपर्ट्स रोजाना एक सेब खाने की सलाह देते हैं क्योंकि यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करता है।
सेब के स्वास्थ्य लाभ और उनके पकाने का तरीका
सेब के स्वास्थ्य लाभ इस बात पर निर्भर करते हैं कि उन्हें कैसे पकाया जाता है। प्राकृतिक तरीके से पके हुए सेब सबसे अच्छे होते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से अब किसान कृत्रिम तरीके से सेबों को पकाने के लिए रसायनों का उपयोग कर रहे हैं। इन रसायनों की मदद से सेबों को जल्दी पकाया जा रहा है ताकि उन्हें बाजार में जल्द भेजा जा सके और अधिक मुनाफा कमाया जा सके।
पहले किसान फलों के पेड़ों पर रसायनों का उपयोग करते थे, लेकिन अब वे पेड़ों से फल तोड़कर उन पर खतरनाक केमिकल्स का छिड़काव कर रहे हैं। इस प्रक्रिया में कैल्शियम कार्बाइड और एसिटिलीन गैस का उपयोग किया जाता है, जो भारत में बैन हैं क्योंकि ये स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते हैं।
सेब की सुरक्षा जांचने के तरीके
- पानी का परीक्षण: सेब को धोकर उस पानी को एक गिलास में इकट्ठा करें। अगर पानी का रंग लाल से बैंगनी में बदल जाए, तो इसका मतलब है कि उसमें कैल्शियम कार्बाइड मिला हुआ है।
- स्टार्च आयोडीन परीक्षण: सेब को काटकर उस पर आयोडीन छिड़कें। अगर रंग गहरा नीला हो जाए, तो इसका मतलब है कि सेब में स्टार्च की मात्रा अधिक है और यह पूरी तरह से पका नहीं है।
कृत्रिम रूप से पके सेब की पहचान
स्वभाविकता: प्राकृतिक रूप से पके हुए सेबों पर अक्सर धब्बे या निशान होते हैं, जबकि कृत्रिम रूप से पके सेब बहुत चिकने दिख सकते हैं।
मुलायमपन: कृत्रिम रूप से पके सेब बहुत मुलायम हो सकते हैं, जबकि प्राकृतिक रूप से पके सेब थोड़े फर्म होते हैं।
गंध: कृत्रिम रूप से पके सेबों में प्राकृतिक सेबों की तुलना में एक कृत्रिम गंध हो सकती है।
स्वाद: कृत्रिम रूप से पके सेब बहुत मीठे हो सकते हैं, लेकिन उनका स्वाद प्राकृतिक सेब जितना अच्छा नहीं होता।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
कृत्रिम रूप से पके हुए सेब का सेवन सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि इन केमिकल्स के सेवन से पेट की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि आंतों का कामकाज प्रभावित होना, पेट में दर्द, और पेप्टिक अल्सर का रिस्क बढ़ना। इसके अलावा, इन केमिकल्स से उल्टी, खूनी दस्त, कमजोरी, छाती और पेट में जलन, आंखों में जलन, और स्थायी आंखों का डैमेज जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
FSSAI का रुख
भारत में खाने-पीने की गुणवत्ता पर नजर रखने वाली संस्था FSSAI के अनुसार, फलों को पकाने के लिए कार्बाइड गैस या एसिटिलीन गैस का उपयोग बैन है। यह जानकारी प्राप्त करना और इन खतरनाक केमिकल्स से सेब की सुरक्षा जांचना आपके स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।