भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को इन दोनों पेमेंट सिस्टम्स को ई-मेंडेट फ्रेमवर्क में जोड़ने की घोषणा की। इसका मतलब है कि अब फास्टैग और NCMC यूज़र्स को बार-बार वॉलेट में पैसे डालने की चिंता से छुटकारा मिलेगा। RBI के अनुसार, इस नए सिस्टम के तहत फास्टैग और NCMC के भुगतान के लिए कोई निश्चित समय नहीं होगा। जब भी भुगतान की आवश्यकता होगी, ग्राहक के खाते से बिना किसी पूर्व निर्धारित समय सीमा के पैसे स्वचालित रूप से वॉलेट में जोड़ दिए जाएंगे।
ई-मैंडेट फ्रेमवर्क, जिसे 2019 में लागू किया गया था, ग्राहक की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है। इसके तहत, ग्राहक के खाते से पैसे निकालने से कम से कम 24 घंटे पहले इसकी सूचना देना अनिवार्य है। ई-मैंडेट के माध्यम से, ग्राहक को एक बार इलेक्ट्रॉनिक रूप से भुगतान की अनुमति देनी होती है, जिसके बाद दैनिक, साप्ताहिक, मासिक आदि की अवधि के अनुसार भुगतान स्वचालित रूप से होता है।
अब, जब फास्टैग वॉलेट का बैलेंस निर्धारित सीमा से कम होगा, तो संबंधित बैंक के खाते से स्वत: पैसे कटकर वॉलेट में जुड़ जाएंगे। इस प्रक्रिया से उपयोगकर्ताओं को बार-बार मैनुअल रिचार्ज करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इसके परिणामस्वरूप, वाहन मालिकों को टोल प्लाजा पर किसी भी अतिरिक्त शुल्क का सामना नहीं करना पड़ेगा और उन्हें एक सुगम और निर्बाध यात्रा अनुभव मिलेगा।
इस सुविधा से न केवल वाहन मालिकों को राहत मिलेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि टोल भुगतान के दौरान कोई भी असुविधा नहीं हो। ई-मैंडेट फ्रेमवर्क की इस नई सुविधा के साथ, फास्टैग और NCMC के उपयोगकर्ताओं को एक बेहतर और अधिक स्वचालित भुगतान अनुभव मिलेगा, जिससे उनके जीवन को और भी आसान बनाया जा सकेगा।
इस नई पहल के लागू होने से, फास्टैग और NCMC उपयोगकर्ताओं को एक बार फिर से अपने वॉलेट में पैसे डालने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो डिजिटल भुगतान को और भी सुगम और सुरक्षित बनाएगा।