आयुक्त जनजाति कार्य विभाग भोपाल के द्वारा ऐसे सभी शिक्षकों के अटैचमेंट को समाप्त कर उनकी मूल पद स्थापना वाले विद्द्यालय में भेजे जाने का निर्देश जारी किया गया था । जिसके बाद अब अपनी मनचाही स्कूल में वर्षों से अटैचमेंट के तहत जमे शिक्षकों को उनके मूल पदस्थापना वाले विद्द्याल्यों में भेजा जा रहा है । शहडोल जिले के कुछ ऐसे जुगाडू शिक्षकों की उनके मूल विद्द्यालय में वापसी होना भी शुरू हो चुकी है ।
लेकिन मनचाहे विद्द्यालय में वर्षों से अटैचमेंट के साथ साथ विभिन्न संकुल केन्द्रों एवं बुढार समेत अन्य खंड शिक्षाधिकारी कार्यालयों में बाबूगिरी करने वाले मास्साब अब भी वहाँ जमे हुए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह मास्टर बनाम बाबू अब भी एड़ी चोटी का जोर लगाकर यहीं अटैचमेंट में जमे रहकर मलाई छानना चाह रहें हैं । आयुक्त जनजाति कार्य विभाग भोपाल के आदेश के परिपालन में जिले के वरिष्ठ कार्यालयों से तो कार्यमुक्ति के आदेश जारी किए जा रहें है लेकिन इसके विपरीत कई संकुल केन्द्रों व खंड शिक्षाधिकारी कार्यालय में जमे शिक्षकों को कार्यमुक्त करने में हीला हवाली की जा रही है । इनमे बुढार समेत कई अन्य बीईओ कार्यालय शामिल हैं ।
विषय विशेषज्ञ बन गये हैं अधिकारी
वहीँ कुछ विषय विशेषज्ञ मूल रूप से विज्ञान व गणित के शिक्षक बीआरसी ,बीएसी अथवा सीएसी के रूप में एक लम्बे समय से कार्य कर रहें है । हालाकि यह लोग परिक्षा के माध्यम से इस पद पर नियुक्त किए गये हैं लेकिन अगर मूल रूप से गणित एवं विज्ञान विषय के ऐसे विशेषज्ञों को इन पदों के स्थान पर विद्द्यालय में भेजा जाए तो विद्द्यालयों में इन विषयों के शिक्षकों की कमी को भी कुछ हद तक दूर किया जा सकता है । शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले जानकारों का मानना है कि शिक्षक से केवल शैक्षणिक कार्य ही कराए जाने चाहिए ,ताकि शिक्षा के स्तर में सुधार हो सके । साथ ही परिक्षा परिणाम भी बेहतर हो सकेगा ।
विशिष्ट संस्थाओं का शिक्षा स्तर भी कमजोर
इनके अलावा शहडोल संभाग के तीनो जिलों में कई विशिष्ट शिक्षण संस्थाएं मौजूद हैं ,जिनमे आवासीय शिक्षा परिसर , क्रीडा परिसर ,गुरूकुलम तथा कन्या शिक्षा परिसर आदि शामिल हैं । यहाँ पर छात्र छात्राओं व शिक्षकों के रहने की भी सम्पूर्ण व्यवस्था होती है । लेकिन ऐसे संस्थानों का परिक्षा परिणाम भी ख़ास अच्छा नजर नहीं आ रहा है । जबकि यहाँ विशेष प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों की ही पदस्थापना की जाती है । इनके बावजूद यहाँ के परिक्षा परिणाम अपेक्षाकृत निराशाजनक ही होतें हैं । इन विशिष संस्थाओं में पदस्थ शिक्षकों को वहीँ रहकर अद्द्यापन कार्य कराना होता है जबकि इसके विपरीत इन संस्थाओं के कई शिक्षक व इनके मुखिया संस्था से दूर रहकर प्रतिदिन अप डाउन करतें हैं ।