मणिपुर में NPP (National Peoples Party) का समर्थन वापस, क्या बीजेपी की सरकार गिरेगी
मणिपुर में बीजेपी को एक बड़ा झटका लगा है।NPP (National Peoples Party) ने मणिपुर की बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिससे राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। यह कदम एनपीपी ने मणिपुर में हाल में बढ़ती जातीय हिंसा और राज्य सरकार की असफलता के कारण उठाया। कॉनराड संगमा की पार्टी ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र भेजकर सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की घोषणा की।
NPP (National Peoples Party) का कहना है कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व में मणिपुर सरकार राज्य में जातीय हिंसा को नियंत्रित करने में पूरी तरह से विफल रही है, जिससे राज्य की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। पार्टी ने यह निर्णय मणिपुर की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए लिया, खासकर पिछले साल मई से शुरू हुए कुकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय संघर्ष के बाद। इस संघर्ष में कई नागरिकों की मौत हो गई, जिससे राज्य में विरोध प्रदर्शन और बढ़ गए। महिलाओं और बच्चों की लाशों की बरामदगी ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया। एनपीपी ने इसे लेकर मणिपुर की सरकार से तत्काल प्रभाव से अपना समर्थन वापस लेने का निर्णय लिया।
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बीजेपी के लिए यह झटका इसलिए भी बड़ा है क्योंकि मणिपुर विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं और बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को 31 सीटों की जरूरत होती है। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 32 सीटें मिली थीं, जबकि एनपीपी को 7 सीटें हासिल हुई थीं। इसके अलावा, जेडीयू के पांच विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे, जिसके बाद विधानसभा में बीरेन सरकार के पास कुल 37 विधायकों का समर्थन था। एनपीपी के समर्थन वापस लेने के बावजूद, बीजेपी के पास अभी भी बहुमत है, इसलिए फिलहाल मणिपुर में सरकार गिरने का खतरा नहीं है।
हालांकि, एनपीपी का यह कदम बीजेपी के लिए एक गंभीर संकेत है, क्योंकि राज्य में हाल में बढ़ रही हिंसा और सरकार की नाकामियां विपक्षी दलों को और अधिक मजबूती प्रदान कर सकती हैं। मणिपुर में राजनीतिक स्थिति अब और भी जटिल हो गई है, और आने वाले समय में यह देखना होगा कि एनपीपी के इस कदम से राज्य की सरकार पर और क्या प्रभाव पड़ता है।