Supreme Court ने अनुकंपा पर नियुक्ति के मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की है।
Supreme Court ने बुधवार को एक व्यक्ति की याचिका खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी प्राप्त करना कोई कानूनी अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुकंपा के तहत नियुक्ति कर्मचारी की मृत्यु के बाद उत्पन्न होने वाले तात्कालिक वित्तीय संकट को दूर करने के उद्देश्य से की जाती है, और यह किसी प्रकार का निहित अधिकार नहीं है, जिसे लंबे समय बाद भी दावा किया जा सके।
यह मामला एक ऐसे व्यक्ति से संबंधित था, जिसका पिता 1997 में पुलिस कांस्टेबल के रूप में ड्यूटी करते समय मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। उस समय याचिकाकर्ता की उम्र सिर्फ सात साल थी। याचिका में यह मांग की गई थी कि उसे अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाए, लेकिनSupreme Court ने इसे खारिज कर दिया। जस्टिस अभय एस. ओका, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि राज्य को किसी व्यक्ति या समूह के पक्ष में ऐसे निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं है, जो संबंधित नीति के विपरीत हो।
कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति कर्मचारी की सेवा की शर्त नहीं है। यह नियुक्ति उस परिवार के सदस्य के लिए होती है, जिसकी मृत्यु सेवा के दौरान हो जाती है, और यह केवल तत्काल वित्तीय संकट को हल करने के लिए होती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि लंबे समय बाद इस तरह की नियुक्ति का दावा करना न तो कानूनी रूप से उचित है और न ही यह कोई निहित अधिकार है, जिसे बिना किसी जांच या चयन प्रक्रिया के दिया जा सके।
1997 में जब याचिकाकर्ता के पिता कांस्टेबल जय प्रकाश की मृत्यु ड्यूटी के दौरान हुई थी, तब वह महज सात साल के थे। उनकी मां, जो अशिक्षित थीं, ने कभी भी अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं किया था। कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति की कोई भी उम्मीद समय की सीमा के बाद नहीं की जा सकती है।