इस तकनीक से मक्के की खेती में होगा किसानों का लाभ: जानें कैसे
मक्के की खेती के लिए सबसे पहले खेतों को अच्छी तरह से तैयार करना जरूरी होता है। इसके लिए कम से कम दो से तीन बार खेतों को मोल्डबोर्ड हल से जोतकर तैयार करना चाहिए। मक्के की मांग देश-विदेश में बहुत है, लेकिन यह फसल कई बीमारियों से भी प्रभावित होती है। सही तकनीक से खेती करने पर किसानों को बेहतर मुनाफा मिल सकता है। चलिए जानते हैं किन बातों का ध्यान रखकर मक्के की अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
मक्के की खेती के लिए ध्यान रखने योग्य बातें:
- खेत की तैयारी: मक्के की खेती के लिए सबसे पहले खेत को तैयार करना आवश्यक है। इसके लिए मोल्डबोर्ड हल से खेतों को दो से तीन बार जोतें।
- मिट्टी को भुरभुरी बनाना: मिट्टी को भुरभुरी बनाने के लिए रोटावेटर का उपयोग करें।
- खाद का छिड़काव: जोताई के बाद, प्रति एकड़ खेत में 10 टन गोबर की खाद या कंपोस्ट का छिड़काव करें।
- बीजों का उपचार: बीज बोने से पहले उनका उपचार करना आवश्यक है। उपचार के लिए थायमेथोक्सम 19.8% और साइनट्रेनिलिप्रोल 19.8% का 6 मिलीलीटर प्रति किलोग्राम बीज के अनुसार छिड़काव करें।
- हल्की सिंचाई: बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें ताकि खेतों में नमी बनी रहे। 45 से 65 दिन बाद मिट्टी में नमी की स्थिति सुनिश्चित करें, वरना नुकसान हो सकता है।
- समय पर खाद देना: फसल में समय पर खाद देना भी बहुत जरूरी है।
- खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार मक्के की खेती में एक बड़ी समस्या है, जो फसल के उत्पादन को प्रभावित करती है। बुवाई से पहले खरपतवार का नियंत्रण करें और समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें।
- फसल की कटाई: जब फसल अच्छे से पक जाए, तभी मक्के की कटाई करें। इसकी पहचान तब होती है जब तने और पत्तियाँ थोड़ी हरी होती हैं, लेकिन बाहरी आवरण भूरा दिखाई देता है।
- छिलाई का सही समय: मक्के को तब छिलना चाहिए जब नमी 15 से 20% बनी रहे। हाइब्रिड किस्मों की खेती से किसान बेहतर उत्पादन हासिल कर सकते हैं, विशेषकर सिंगल क्रॉस हाइब्रिड से। हालांकि, कई किसान अभी भी हाइब्रिड किस्मों की खेती नहीं कर रहे हैं।
- पानी की आवश्यकता: चावल और गेहूं की तुलना में मक्के की फसल को कम पानी की आवश्यकता होती है।
- रोग, कीट, और खरपतवार नियंत्रण: बरसात में मक्के की फसल को रोग, कीट, और खरपतवार का खतरा अधिक रहता है, इसलिए इनका नियंत्रण करना जरूरी है।
- हाशिए वाले क्षेत्रों में खेती: हाइब्रिड किस्म की खेती हाशिए वाले क्षेत्रों में करना बेहतर रहता है, ताकि अधिक पानी वाली स्थिति जैसे बाढ़ से फसलों को नुकसान न पहुंचे।
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