तिब्बत में जोरदार भूकंप के झटके, यूपी-बिहार तक महसूस हुआ असर
आधी रात कांपी तिब्बत की धरती
11 मई की रात भारतीय समयानुसार 2:41 बजे तिब्बत में धरती तेज झटकों से कांप उठी। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार, इस भूकंप की तीव्रता 5.7 रिक्टर स्केल मापी गई। झटके इतने तेज थे कि गहरी नींद में सो रहे लोग घबराकर जाग उठे। अचानक आई इस हलचल से कुछ देर के लिए अफरा-तफरी का माहौल बन गया। हालांकि अभी तक किसी प्रकार की जनहानि या संपत्ति को नुकसान की खबर नहीं आई है, फिर भी डर का माहौल कायम हो गया।
यूपी-बिहार में भी महसूस किए गए झटके
तिब्बत में आए भूकंप का असर सिर्फ वहीं तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसके हल्के झटके भारत के उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों में भी महसूस किए गए। खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में लोग आधी रात को बिस्तर हिलने के कारण घबरा गए और घरों से बाहर निकल आए। हालांकि झटके उतने तीव्र नहीं थे जितने तिब्बत में, फिर भी भय का माहौल बन गया।
भूकंप का केंद्र और तीव्रता
सीस्मोलॉजिकल डिपार्टमेंट के अनुसार, इस भूकंप का केंद्र तिब्बत का एक आंतरिक क्षेत्र था। वहां से निकली तरंगें आसपास के देशों तक पहुंच गईं, जिससे यूपी-बिहार जैसे राज्यों में भी असर देखने को मिला। भूकंप की तीव्रता मध्यम श्रेणी की थी, लेकिन गहराई और स्थान के कारण इसका प्रभाव व्यापक हो गया।
रात के समय से बढ़ा डर
चूंकि भूकंप आधी रात को आया, जब अधिकांश लोग गहरी नींद में थे, इस कारण डर और अधिक बढ़ गया। अचानक हिलती ज़मीन और दीवारों की आवाज़ से लोग सकते में आ गए। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस स्थिति से घबरा गए और कई लोग तो पूरी रात खुले में ही बैठे रहे।
कोई नुकसान नहीं, लेकिन सतर्कता जरूरी
अभी तक किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं मिली है, जो राहत की बात है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटना एक चेतावनी है कि भविष्य में और भी झटके आ सकते हैं। ऐसे में लोगों को सजग रहना चाहिए और प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।
क्षेत्रीय प्रभाव और वैश्विक पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि दो दिन पहले पाकिस्तान में भी भूकंप आया था, जिससे वहां की स्थिति पहले से ही तनावपूर्ण थी। अब तिब्बत में आए इस भूकंप ने पूरे क्षेत्र को एक बार फिर भूकंपीय गतिविधियों की गंभीरता की ओर इशारा किया है।
निष्कर्ष
तिब्बत में आए इस भूकंप ने एक बार फिर यह जताया है कि प्रकृति किसी को चेतावनी दिए बिना अपना रूप दिखा सकती है। भले ही अभी कोई बड़ा नुकसान न हुआ हो, लेकिन इससे सबक लेना ज़रूरी है ताकि हम आने वाले समय में किसी भी प्राकृतिक आपदा से बेहतर तरीके से निपट सकें।