इस अभियान के तहत सत्तारूढ़ दल के कुछ नेताओं द्वारा निजी स्वार्थवश गरीब दुकानदारों की गुमठियों और ठेलों को हटवाया जा रहा था, जिससे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया।
जानकारी के अनुसार, सिंहपुर अस्पताल के सामने वर्षों से खाली पड़ी शासकीय भूमि पर कई छोटे व्यापारी गुमठी और ठेला लगाकर अपनी आजीविका चला रहे हैं। इन दुकानदारों को हाल ही में राजस्व विभाग द्वारा अतिक्रमण का नोटिस दिया गया था, जिसके तहत बुधवार सुबह प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू की।
इस बीच जब यह कार्रवाई शुरू हो रही थी, इस दौरान प्रशासन का बुलडोजर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स व तहसीलदार प्रशासनिक अधिकारियों को देखकर भय के कारण कुछ गुमठी चलाने वाले गरीब छोटे व्यापारी अपने से अपनी दुकान को हटाने लगे, जिस कारण उनका तो नुकसान हो ही गया,अब आगे क्या कुछ होता है ,यह आने वाला समय बताएगा । लेकिन अचानक यह कार्यवाही कैसे शुरू हुई ,इसे लेकर भी तरह तरह के सवाल खड़े हो रहें हैं ।
हालांकि, स्थानीय लोगों को जब यह पता चला कि इस अभियान के पीछे कुछ राजनीतिक हस्तियों के निजी हित जुड़े हैं, तो वे बड़ी संख्या में सड़क पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि प्रशासन को गुमराह कर गरीबों की रोजी-रोटी छीनी जा रही है, जबकि असली मकसद एक निजी भूमि से अतिक्रमण हटवाना है, जिससे उन स्वार्थी नेताओं का हित जुड़ा हुआ है। जिनके ऊपर पूर्व में भी आरोप लग चुके हैं । खबरीलाल अपने अगले समाचार में इन स्वार्थी नेताओं के बारे में प्रमाणिक खुलासा करेगा ।
स्थिति बिगड़ते देख प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई को स्थगित कर दिया और मामले की सुक्ष्मता के साथ जांच के निर्देश दिए हैं। स्थानीय लोगों की मांग है कि जब तक निष्पक्ष जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी भी तरह की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई न की जाए।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मामले में आगे क्या कदम उठाता है और क्या वास्तव में यह कार्रवाई नियमानुसार थी या फिर इसमें किसी प्रकार की राजनीतिक मिलीभगत थी।