ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खामेनेई ने इजराइल के खिलाफ बदले का ऐलान किया है।
ईरान जल्द ही ऐसे ठिकानों पर हमले की योजना बना रहा है, जिनसे इजराइल को गंभीर नुकसान हो सकता है।
ईरान के हमले की तैयारी
ईरान ने अपने बैलिस्टिक मिसाइल प्लेटफार्मों को रणनीतिक स्थानों पर तैनात कर दिया है। IRGC के कमांडर ने कहा है कि इजराइल पर बड़े हमले होंगे। वहीं, इजराइल ने स्पष्ट किया है कि उसका मुख्य लक्ष्य ईरान को परमाणु शक्ति बनने से रोकना है।
संघर्ष का बढ़ता खतरा
क्या यह संघर्ष ईरान और इजराइल के बीच एक बड़े युद्ध में बदल सकता है? ईरान भूमध्य सागर में इजराइल के तेल और गैस क्षेत्रों को अपने संभावित टारगेट के रूप में देख रहा है, जैसे कि नोआ-1, मारी-B, तमार, और लेवियाथन गैस फील्ड।
ईरान के संभावित टारगेट
ईरान के हमले के संभावित लक्ष्यों में इजराइल के विभिन्न गैस रिज शामिल हो सकते हैं। नोआ-1 गैस रिज, जो अश्केलोन से 40 किलोमीटर दूर है, 1999 से चल रहा है। इसके अलावा, मारी-B, तमार और लेवियाथन जैसे अन्य गैस फील्ड भी ईरान के निशाने पर हो सकते हैं।
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अमेरिकी चुनावों से पहले हमले की संभावना
5 नवंबर को अमेरिका में मतदान होना है, और ईरान इजराइल पर हमले में कोई देरी नहीं करना चाहता। इसका उद्देश्य प्रॉक्सी संगठनों का मनोबल बढ़ाना और उन्हें हमले के लिए प्रेरित करना है।
इजराइल की तैयारी
इजराइल ने यह सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है कि ईरान की महत्वाकांक्षा कभी पूरी न हो। ईरान परमाणु बम बनाने की प्रक्रिया में है, और इजराइल को जल्द ही ऑपरेशन शुरू करने की आवश्यकता हो सकती है।
इजराइल के विकल्प
ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमले के लिए इजराइल के पास दो विकल्प हैं। पहला विकल्प है मिसाइल हमले करना, जो चुनौतीपूर्ण है क्योंकि ईरान के संयंत्र गहराई में बने हैं। दूसरा विकल्प साइबर हमले करना है, जैसा कि इजराइल पहले भी कर चुका है, जैसे स्टक्सनेट वायरस के माध्यम से।
संभावित परिणाम
यदि ईरान या इजराइल में से किसी ने भी हमले किए, तो पूरा अरब क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। दोनों देशों के बीच का तनाव बढ़ता जा रहा है, जिससे स्थिति गंभीर होती जा रही है।