इस संभावित युद्ध को भांपते हुए, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, और इटली ने एक संयुक्त बयान जारी किया था। इससे पहले, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान से बात कर इज़राइल पर हमला न करने की अपील की थी। हालांकि, ईरानी मीडिया के अनुसार, पेज़ेश्कियान ने कहा कि बदला लेना ही ‘अपराध रोकने का उपाय’ है और ईरान को इसका ‘वैध अधिकार’ है।
इज़राइल ने इस्माइल हनिया की हत्या में शामिल होने से इनकार किया है, लेकिन बढ़ते तनाव को देखते हुए अपनी सेना को हाई अलर्ट पर रख दिया है। इज़राइल के रक्षा मंत्री याओव गैलेंट ने बताया कि उनकी सेना ईरान और बेरूत में हो रही गतिविधियों पर नजर रख रही है और किसी भी संभावित खतरे से निपटने की तैयारी कर रही है।अमेरिका ने चेतावनी दी है कि वह ईरान और उसकी प्रॉक्सियों से संभावित बड़े हमले का सामना करने के लिए तैयार है। इसके अलावा, बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका ने इज़राइल की सुरक्षा के लिए मध्य पूर्व क्षेत्र में गाइडेड मिसाइल पनडुब्बियां भेजने की बात कही है।
लेबनान में ईरान समर्थित हिज़बुल्लाह ने भी अपने एक शीर्ष कमांडर की मौत के बाद इज़राइल से बदला लेने की धमकी दी है। इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपने मध्य पूर्वी देशों के दौरे को स्थगित कर दिया है।विशेषज्ञों का मानना है कि यह ताज़ा घटनाक्रम किसी बड़े हमले की आहट का संकेत दे रहा है, और ईरान की चेतावनी के बाद क्षेत्र में युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। हमास ने बताया था कि 31 जुलाई को तेहरान में इस्माइल हनिया की हत्या उस वक्त हुई, जब वह ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आए थे। ईरान ने इस हत्या के लिए इज़राइल को जिम्मेदार ठहराया, हालांकि इज़राइल ने इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी।
इसके बाद, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली ख़ामेनेई ने हनिया की मौत का बदला लेने का ऐलान किया। इज़राइल ने हाल ही में हमास के मिलिट्री चीफ मोहम्मद दिएफ़ को ग़ज़ा पट्टी में एक हवाई हमले में मारने का दावा किया था, और ईरान समर्थित लेबनानी समूह हिज़बुल्लाह ने भी अपने सीनियर कमांडर फुआद शुक्र की मौत का बदला लेने की घोषणा की थीअमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने जी7 देशों के समकक्षों को चेतावनी दी थी कि ईरान और हिज़बुल्लाह किसी भी समय इज़राइल पर हमला कर सकते हैं। हालाँकि अभी तक ऐसा कोई बड़ा हमला नहीं हुआ है, लेकिन पाँच देशों के संयुक्त बयान से संकेत मिलता है कि खतरा बना हुआ है।
संयुक्त बयान में कहा गया कि जल्द से जल्द एक समझौते तक पहुंचने के लिए इस हफ्ते के अंत में वार्ता फिर से शुरू करने का समर्थन किया गया है। साथ ही, इसमें सभी पक्षों से जिम्मेदारी निभाने और ग़ज़ा तक बिना रुकावट मदद पहुंचाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। बयान में ईरान के आक्रामक रवैये और उसके समर्थित चरमपंथी संगठनों के खिलाफ इज़राइल की सुरक्षा के प्रति पांचों देशों ने अपना समर्थन दोहराया है और ईरान से इज़राइल के खिलाफ सैन्य हमलों की धमकियों को रोकने की अपील की गई है।i