बीएनपी के महासचिव मिर्ज़ा फख़रुल आलमगीर ने कहा कि शेख़ हसीना को शरण देकर भारत ने लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हटने का संकेत दिया है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भारत, बांग्लादेश में क्रांति को दबाने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रहा है। मिर्ज़ा फख़रुल ने कहा कि अवामी लीग की सरकार ने देश में जो तबाही मचाई है, उसे ठीक करने में समय लगेगा और उनकी पार्टी इसके लिए अंतरिम सरकार को पर्याप्त समय देगी।
शेख़ हसीना, बांग्लादेश में आरक्षण के विरोध में हुए छात्रों के आंदोलन और हिंसा के बीच अपने पद से इस्तीफा देकर भारत आई थीं, और तब से भारत में ही हैं। इस बीच, इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने शेख़ हसीना समेत नौ लोगों के खिलाफ आरक्षण विरोधी आंदोलन से जुड़े मामलों में जांच करने का निर्णय लिया है।
इन सभी पर हत्या, नरसंहार, और यातना के आरोप लगाए गए हैं। आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान एक छात्र के पिता द्वारा याचिका दायर करने के बाद यह जांच शुरू की गई है। अंतरिम सरकार के कानून, न्याय और संसदीय मामलों के सलाहकार, प्रोफेसर आसिफ नज़रूल ने कहा कि अभियुक्तों के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल में मुकदमा चलाया जाएगा।