भारत की सैन्य ताकत में इजाफा: न्यूक्लियर सबमरीन प्रोजेक्ट पर तेजी से प्रगति..
भारत अपनी सामरिक ताकत को बढ़ाने के लिए न्यूक्लियर सबमरीन प्रोजेक्ट पर तेजी से काम कर रहा है। वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास दो ऑपरेशनल न्यूक्लियर सबमरीन हैं—आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात। इसके अलावा, तीसरी न्यूक्लियर सबमरीन, अरिधमान, के समंदर में ट्रायल चल रहे हैं, और चौथी सबमरीन को इस महीने लॉन्च किया गया है, जो पानी के अंदर टेस्ट करेगी।
आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात का परिचय
भारत के पास कुल चार न्यूक्लियर सबमरीन (SSBN) होने की योजना है। आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात, जो हाल ही में स्ट्रैटजिक कमांड फोर्स में शामिल किया गया है, सामरिक ताकत में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। अरिहंत को 2009 में लॉन्च किया गया था, जबकि अरिघात को दो महीने पहले ही कमिशन किया गया है। दोनों सबमरीन लगभग 6000 टन वजन की हैं और 50 दिनों से अधिक समय तक पानी के अंदर रह सकती हैं।
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सबमरीन की तकनीकी विशेषताएँ
अरिहंत में लगे रिएक्टर की स्पीड 24 नॉटिकल मील प्रति घंटा है। जहां आईएनएस अरिहंत में बैलेस्टिक मिसाइल की रेंज करीब 750 किलोमीटर है, वहीं चौथी न्यूक्लियर सबमरीन की बैलेस्टिक मिसाइल की रेंज लगभग 3500 किलोमीटर होगी। इस प्रकार, भारत की न्यूक्लियर सबमरीन प्रोजेक्ट का विकास न केवल सामरिक ताकत को बढ़ाएगा, बल्कि इससे देश की सुरक्षा भी मजबूत होगी।
न्यूक्लियर सबमरीन की श्रेणियाँ
भारत के न्यूक्लियर सबमरीन को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है: न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (SSN) और न्यूक्लियर मिसाइल सबमरीन (SSBN)। न्यूक्लियर मिसाइल सबमरीन मुख्य रूप से न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने के लिए होती हैं, जबकि न्यूक्लियर अटैक सबमरीन में न्यूक्लियर हथियार नहीं होता। SSN किसी भी सामान्य सबमरीन की तरह काम करती हैं, लेकिन यह न्यूक्लियर ईंधन से ऊर्जा प्राप्त करती हैं।
नई स्वदेशी सबमरीन का निर्माण
इस महीने की शुरुआत में, भारत सरकार ने सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति द्वारा दो स्वदेशी न्यूक्लियर अटैक सबमरीन के निर्माण को भी मंजूरी दी है। ये सबमरीन भी भारत की सामरिक क्षमता को और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
भविष्य की संभावनाएँ
भारत की न्यूक्लियर सबमरीन कंवेंशनल सबमरीन के मुकाबले कहीं अधिक ताकतवर होती हैं। यह लंबे समय तक गहरे पानी में छिपी रह सकती हैं और पानी के दबाव के बावजूद 60 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड पकड़ सकती हैं। हालांकि, वर्तमान में भारतीय नौसेना के पास कोई न्यूक्लियर अटैक सबमरीन (SSN) नहीं है, लेकिन आने वाले समय में इसके निर्माण की योजना है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, भारत का न्यूक्लियर सबमरीन प्रोजेक्ट देश की सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके साथ ही, यह अन्य देशों के साथ प्रतिस्पर्धा में भारत की स्थिति को भी मजबूत करेगा। भारत के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी सामरिक क्षमता को निरंतर बढ़ाता रहे, ताकि सुरक्षा और आत्मरक्षा के क्षेत्र में कोई कमी न आए।