चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होंगे, जो आखिरी बार 2014 में हुए थे। जम्मू-कश्मीर में चुनाव तीन चरणों में होंगे: पहला चरण 18 सितंबर, दूसरा चरण 25 सितंबर, और तीसरा चरण 1 अक्टूबर को होगा। मतगणना 4 अक्टूबर को की जाएगी।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के हटने के बाद यह पहले विधानसभा चुनाव होंगे। जम्मू-कश्मीर में 2018 में सरकार के भंग होने के बाद से चुनाव नहीं हुए हैं। आखिरी बार विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे, जब भाजपा और पीडीपी ने गठबंधन किया था, लेकिन बाद में भाजपा ने इस गठबंधन से दूरी बना ली। 2018 में भाजपा और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की गठबंधन सरकार गिर गई, और 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा दिया गया।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव से जुड़ी जानकारी दी और कहा कि जम्मू-कश्मीर की जनता तस्वीर बदलना चाहती है, और चुनाव को लेकर हर किसी में उत्सुकता है। चुनाव आयोग ने हरियाणा और जम्मू-कश्मीर का दौरा भी किया और बताया कि वे मौसम ठीक होने और अमरनाथ यात्रा समाप्त होने का इंतजार कर रहे थे।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने एक शायरी सुनाई:
“लंबी कतारों में छुपा है बदलते हालात, यानी जम्हूरियत की कहानी
रोशन उम्मीदें अब खुद करेंगी अपनी तकदीर की बयानी
जम्हूरियत के जश्न में आपकी शिरकत, दुनिया देखेगी नापाक इरादों की शिकस्त की कहानी”
इससे पहले, राजीव कुमार ने कहा कि लोकसभा चुनाव सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया रही, जिसमें सबसे ज्यादा मतदान हुआ। उन्होंने बताया कि लोकसभा चुनाव 2024 एक उत्सवी माहौल में हुआ, जिसमें युवाओं और महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह चुनाव लोकतंत्र का जीवंत उदाहरण साबित हुआ, और विश्व भर में जब भी चुनाव होंगे, हमारे देश के चुनाव की याद रहती है, जो हमें अपनी ताकत का एहसास कराते हैं।
लोकसभा चुनाव के दौरान कश्मीर घाटी में मतदान अच्छा हुआ था। हाल ही में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के दौरे पर जाकर हमने देखा कि लोग चुनाव के लिए उत्सुक हैं। जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर लंबी कतारें लोकतंत्र की ताकत का बेहतरीन उदाहरण थीं, जो दर्शाती हैं कि लोग अपनी तकदीर बदलने के लिए तत्पर हैं। घाटी के तीन निर्वाचन क्षेत्रों में अच्छी मतदान प्रक्रिया रही, जहां लोगों ने हिंसा और बहिष्कार के बजाय मतदान को चुना। कश्मीरी प्रवासियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी, और फॉर्म एम में ढील दी गई थी।
जम्मू-कश्मीर में चुनाव के दौरान पुनर्मतदान की आवश्यकता नहीं पड़ी, और कोई बड़ी हिंसा भी नहीं हुई। गड़बड़ी रोकने के लिए 100 करोड़ रुपये की जब्ती की गई थी। जम्मू-कश्मीर में 90 निर्वाचन क्षेत्र हैं, जिनमें 87.09 लाख मतदाता हैं—44.46 लाख पुरुष और 42.62 लाख महिलाएं। पहली बार मतदान करने वालों की संख्या 3.71 लाख होगी, और कुल 20 लाख से अधिक युवा मतदाता भी हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान लोगों की भागीदारी और उनके चेहरों पर चमक इस बात का प्रमाण थी कि लोकतंत्र की परतें मजबूत हो रही हैं।