इस फैसले ने पूरे देश को झकझोर दिया, लेकिन सबसे अधिक आघात विनेश के परिवार को पहुंचा। विनेश के चाचा, महावीर सिंह फोगाट ने भी CAS द्वारा केस खारिज किए जाने पर अपनी गहरी निराशा व्यक्त की है।
महावीर फोगाट के अनुसार, जब विनेश फोगाट रियो ओलंपिक्स के दौरान घुटने की चोट के बाद घर लौटीं, तो उनके अंदर एक जुनून था। उन्होंने अपने अंकल से कहा था कि यह उनके ओलंपिक ड्रीम के अंत का समय नहीं है और वे आगे भी मेहनत करती रहेंगी। वर्ल्ड चैंपियनशिप में दो बार ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद, विनेश को भरोसा था कि वह ओलंपिक मेडल भी जीतेंगी।
महावीर फोगाट ने इस पर चिंता जताई कि ऐसी घटनाएं किसी एथलीट की मानसिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने कहा कि भले ही एथलीट को अपने परिवार और समर्थन का सहयोग मिले, लेकिन ऐसी घटनाएं मानसिक स्थिति को खराब कर देती हैं।
महावीर फोगाट ने यह भी कहा कि नियमों में सुधार की आवश्यकता है। विनेश फोगाट ने फाइनल तक पहुंचने में कोई समस्या नहीं दिखाई, लेकिन फाइनल मुकाबले के दिन उनके वजन में 100 ग्राम की बढ़त पाई गई, जिससे उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। महावीर का कहना है कि इस प्रकार की डिसक्वालीफिकेशन से एथलीट की पहली दिन से की गई मेहनत व्यर्थ हो जाती है। उन्होंने वजन मापने की प्रक्रिया में सुधार और इस पर उचित बहस की जरूरत बताई।
विनेश फोगाट के मामले ने खेल जगत में नियमों की जटिलता और उनके प्रभाव को उजागर किया है, और यह एथलीटों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।