हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 67 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट के साथ ही बीजेपी ने जीत की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं। एक ओर जहां बीजेपी ने परिवारवाद के खिलाफ अपनी सख्त नीति का दावा किया है, वहीं हरियाणा में पार्टी की राजनीति का एक महत्वपूर्ण आधार परिवारवाद ही रहा है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने 67 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की है। इस लिस्ट के साथ ही बीजेपी ने जीत की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं। एक ओर जहां बीजेपी ने परिवारवाद के खिलाफ अपनी सख्त नीति का दावा किया है, वहीं हरियाणा में पार्टी की राजनीति का एक महत्वपूर्ण आधार परिवारवाद ही रहा है।तभी तो बीजेपी की पहली लिस्ट में परिवारवाद की झलक साफ देखी जा सकती है। हरियाणा में जीत की संभावनाओं को देखते हुए बीजेपी ने बिना किसी हिचकिचाहट के नेताओं के पुत्रों और पुत्रियों को टिकट दे दिया है।
ये कुछ प्रमुख नेता हैं जिनके बेटे या बेटियों को चुनावी टिकट मिला है:
- कुलदीप बिश्नोई – उनके बेटे भव्य बिश्नोई को आदमपुर विधानसभा सीट से बीजेपी ने टिकट दिया है।
- पूर्व मंत्री करतार सिंह भडाणा – उनके बेटे मनमोहन भडाणा को समालखा विधानसभा सीट से टिकट मिला है।
- राव इंद्रजीत सिंह – उनकी बेटी आरती राव को बीजेपी ने अटेली विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है।
- किरण चौधरी – कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद, उनकी बेटी श्रुति चौधरी को तोशाम सीट से टिकट मिला है।
- पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान – उनके बेटे सुनील सांगवान को बीजेपी ने चरखी दादरी विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है।
ये सभी नाम उन नेताओं के परिवारों को दर्शाते हैं जिनके ससंबंधी वर्तमान चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रहे हैं
बीजेपी ने विपक्षी दलों पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए कई बार अपने रुख को स्पष्ट किया है, लेकिन हरियाणा विधानसभा चुनाव में खुद भी इस रणनीति को अपनाया है। यह कदम पार्टी की चुनावी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रतीत होता है, जिसमें बड़े नेताओं के परिवार के सदस्यों को टिकट देकर उनकी लोकप्रियता और चुनावी प्रभाव को भुनाया जा रहा है। लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद, बीजेपी विधानसभा चुनावों में कोई भी जोखिम उठाने के बजाय, एक मजबूत और सुरक्षित स्थिति सुनिश्चित करना चाहती है।