यह आदेश तब आया जब केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर सरकार की लेटरल एंट्री पहल के संबंध में भ्रामक दावे करने का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि इस पहल से अखिल भारतीय सेवाओं में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की भर्ती प्रभावित नहीं होगी।
मुख्य बिंदु:
- 17 अगस्त को UPSC ने जॉइंट सेक्रेट्री, डिप्टी सेक्रेट्री, और डायरेक्टर पदों के लिए लेटरल एंट्री के तहत 45 भर्तियों का विज्ञापन जारी किया था।
- इस विज्ञापन पर विवाद के चलते सरकार ने इसे रोकने का आदेश दिया है।
- लेटरल एंट्री पर विवाद इस बात को लेकर है कि बिना UPSC एग्जाम के इन पदों पर भर्ती होनी थी।
- कांग्रेस और अन्य विपक्षी नेताओं ने इसका विरोध किया है, और राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि इससे SC, ST और OBC के अधिकारों पर असर पड़ेगा।
- केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि लेटरल एंट्री का यह प्रयास केवल आईएएस की कैडर संख्या का 0.5% है और इससे किसी भी सेवा की सूची में कटौती नहीं होगी।
सरकारी पक्ष:
- अश्विनी वैष्णव ने बताया कि लेटरल एंट्री का प्रचलन 1970 के दशक से कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों में होता आ रहा है।
- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अन्य प्रमुख नेताओं ने इस रास्ते से सरकारी पदों पर नियुक्तियां पाई हैं, जैसे सैम पित्रोदा, बिमल जालान, और रघुराम राजन।
इस निर्णय से लेटरल एंट्री की प्रक्रिया पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी गई है, और इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।