फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अपने भाषण के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की आवश्यकता पर जोर देते हुए भारत, जर्मनी, जापान, ब्राजील और दो अफ्रीकी देशों की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि UNSC की संरचना को अधिक समावेशी बनाने और इसे वर्तमान वैश्विक वास्तविकताओं के अनुरूप ढालने के लिए स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाना जरूरी है। इससे पहले, क्वाड देशों ने भी अपने संयुक्त बयान में UNSC में सुधार का आह्वान किया था, जिसमें अफ्रीकी, एशियाई, लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों को शामिल करने की बात कही गई थी।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है और इसे सबसे शक्तिशाली संस्था माना जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना है, और इसे प्रतिबंध लगाने या बल प्रयोग करने का अधिकार भी प्राप्त है। UNSC में कुल 15 सदस्य होते हैं, जिनमें 5 स्थायी सदस्य (P-5) – अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं, जिनके पास वीटो पावर है। किसी भी बड़े अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर निर्णय लेते समय अगर इन 5 में से कोई भी देश असहमति जताता है तो वह वीटो का इस्तेमाल कर निर्णय को रोक सकता है। भारत, जो एक उभरती हुई वैश्विक शक्ति है, यदि UNSC का स्थायी सदस्य बनता है, तो उसकी सहमति भी वैश्विक मसलों पर आवश्यक हो जाएगी, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय निर्णयों में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकेगा।
भारत UNSC में छठी स्थायी सीट का सबसे मजबूत दावेदार माना जाता है, और इसके कई कारण हैं। दुनिया की 17% आबादी भारत में निवास करती है, जिससे इसकी विशाल जनसंख्या का प्रतिनिधित्व UNSC में होना आवश्यक है। पिछले दशक में भारत की औसत वार्षिक विकास दर 7% से अधिक रही है, जो इसे आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बनाता है, खासकर चीन के बाद किसी भी अन्य बड़े देश की तुलना में।
भारत एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है, लेकिन इसके परमाणु कार्यक्रम का दिखावा नहीं करता। यदि भारत UNSC में शामिल होता है, तो वह परमाणु निरस्त्रीकरण प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक ‘अटलांटिक काउंसिल’ के एक सर्वे के अनुसार, यदि अगले एक दशक में UNSC का विस्तार होता है, तो भारत के लिए स्थायी सदस्य बनने की संभावनाएँ 26% तक हो सकती हैं। इस प्रकार, भारत की बढ़ती शक्ति और प्रभाव UNSC में उसकी स्थायी सदस्यता की मांग को मजबूती प्रदान करते हैं।
भारत की UNSC में स्थायी सदस्यता के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा चीन है। UNSC के 5 स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन शामिल हैं, जिनमें से चार देश भारत का समर्थन करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, चीन भारत को UNSC की सबसे शक्तिशाली संस्था में प्रवेश नहीं देना चाहता।
किसी भी प्रस्ताव को पारित करने के लिए सभी 5 स्थायी देशों का समर्थन आवश्यक होता है, और इसी कारण भारत की सदस्यता में चीन का विरोध महत्वपूर्ण बाधा बन जाता है। जबकि भारत ने चीन के UNSC में स्थायी सदस्य बनने का समर्थन किया था, चीन ने अलग-अलग बहानों से भारत की स्थायी सदस्यता का लगातार विरोध किया है, जिससे भारत की इस महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंच पर आवाज़ सीमित हो गई है।