विदित हो कि शासकीय बिरसा मुण्डा चिकित्सा महाविद्द्यालय मे भर्ती जिस नवजात को झूलसी हुईं अवस्था मे बीते 25 अगस्त को जिला अस्पताल मे भर्ती कराया गया था, उसकी माँ की उपचार के दौरान मेडिकल कॉलेज मे बीते बुधवार को मौत हो गयी। वहीं चार दिन बाद जिला चिकित्सालय के एसएनसीयू वार्ड मे भर्ती नवजात ने भी रविवार को दम तोड़ दिया। परिजन अब दोनों की मौत का जिम्मेदार मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को ठहरा रहें हैं। हालांकि मेडिकल कॉलेज इन आरोपों को सिरे से नकार रहा है।
क्या है सारा घटनाक्रम
इस संबंध मे जानकारी के अनुसार बीते 23 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में जयंति पनिका निवासी ग्राम उफरी थाना ब्योहारी निवासी की डिलेवरी हुई थी। बच्चा जन्म के बाद स्वस्थ्य था, मां को खून की कमी होने के कारण भर्ती किया गया था। दो दिन भर्ती के बाद नवजात को पीलिया हो गया, जिसे मेडिकल कॉलेज के वार्मर में रखा गया था। दो दिन तक एसएनसीयू में भर्ती था, तीसरे दिन दोपहर में स्तनपान के बाद भी बार्मर में रख दिया गया। शाम को परिजनों के साथ नवजात की माँ जब बच्चे के स्तनपान के लिए वहाँ गयीं तो देखा कि उसके नवजात बच्चे का शरीर झुलसा हुआ है । जिसके बाद परिजनों ने आरोप लगाया था कि शिकाई के दौरान लापरवाही के कारण अधिक हीटिंग से बच्चे का शरीर झुलस गया है। जिसके बाद काफी हो हंगामा हुआ था। जानकारी पुलिस तक पहुंची, फिर बच्चे को झुलसी हुईं हालत मे जिला अस्पताल मे भर्ती करा दिया गया था। यहां उसका उपचार चल रहा था। इस दौरान कल उसकी मौत हो गई। पांच दिनों के भीतर माँ और बच्चा दोनों दुनिया से चल बसे।
मेडिकल कॉलेज चल रहा था प्रसूता का उपचार
नवजात का शरीर झुलसने के बाद उसे परिजनों द्वारा जिला अस्पताल मे भर्ती करा दिया गया था जबकि माँ का मेडिकल कॉलेज मे ही उपचार चल रहा था। चिकित्सकों के अनुसार वह एनीमिक थी, यानी उसके अंदर खून की कमी थी। इलाज के दौरान बीते बुधवार को उसकी मेडिकल कॉलेज मे मौत हो गयीं। अब एक बार फिर मृतिका के परिजनों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि महिला का सही उपचार नही किए जाने के कारण उसकी मौत हुईं है। परिजनों का यह आरोप है कि बच्चे के जलने के बाद हमने जब विरोध किया और बच्चे को जिला अस्पताल। लेकर चले गए तबसे महिला का उपचार बंद कर दिया गया था। जिस कारण समुचित उपचार के अभाव मे उसकी मौत हो गई। हालकि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन परिजनों द्वारा लगाए जा रहें इन आरोपों को गलत बता रहा है।