पाकिस्तान में जल रही पराली के कारण प्रदूषण का खतरा अब दिल्ली-एनसीआर तक पहुंचने लगा है। शुक्रवार को सैटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों में पंजाब से सटे पाकिस्तान के इलाके पूरी तरह लाल नजर आ रहे हैं, जो यह दर्शाते हैं कि वहां बड़े पैमाने पर पराली जलाई जा रही है। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) की ओर से जारी सैटेलाइट तस्वीरों ने इस स्थिति की गंभीरता को और बढ़ा दिया है, जिसमें साफ दिख रहा है कि फाजिल्का, अमृतसर और हरियाणा के कई इलाकों में जल रही पराली का धुआं दिल्ली के वायुमंडल को प्रभावित कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौसमी परिस्थितियां प्रतिकूल रहीं, तो यह प्रदूषण दिल्ली की हवाओं में मिल सकता है, जिससे वायु की गुणवत्ता और भी बिगड़ सकती है।
सर्दियों में, खासकर जब तापमान अधिक होता है, तो पंजाब और हरियाणा में जलने वाली पराली का धुआं आसमान में उठता है और फिर पश्चिम और उत्तर-पश्चिम से चलने वाली हवाओं के माध्यम से दिल्ली-एनसीआर में पहुंच जाता है। यह धुआं तब वायु मंडल में उस ऊंचाई तक पहुंचता है, जहां हवा का दबाव 500-700 मिलीबार होता है, जो जमीन से एक से डेढ़ किमी ऊंचाई पर होता है। इस ऊंचाई पर पहुंचने के बाद, धुआं वायुमंडल के अन्य कारकों जैसे तापमान, नमी, और हवा के दबाव के साथ मिलकर प्रदूषण का स्तर बढ़ा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ऊपरी सतह पर हवाओं की गति 20-30 किमी प्रति घंटे है और इसकी दिशा पश्चिम की ओर है, तो पंजाब के सीमावर्ती इलाकों से उठने वाला धुआं दिल्ली तक पहुंच सकता है। इसके अलावा, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के पूर्व अतिरिक्त निदेशक मोहन जार्ज का कहना है कि सर्दियों में हवाओं की दिशा पश्चिम से पूर्व की तरफ होती है, जो सिंधु-गंगा मैदानों पर असर डालती है। नतीजतन, जैसे-जैसे ये हवाएं दिल्ली तक पहुंचती हैं, यह जहरीली होती जाती हैं। इस वर्ष सितंबर के अंतिम 15 दिनों में पंजाब में पराली जलाने के 129 मामले दर्ज किए गए हैं, जो इस समस्या की गंभीरता को उजागर करते हैं।