यूक्रेन का ड्रोन अटैक: रूस के न्यूक्लियर प्लांट और बिजली केंद्र बने निशाना
ड्रोन हमले से मचा हड़कंप
यूक्रेन और रूस के बीच जारी तनाव एक बार फिर खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। ताज़ा घटनाक्रम में यूक्रेन ने रूस के न्यूक्लियर पावर प्लांट और कई बड़े बिजली केंद्रों पर ड्रोन से हमले किए। इन हमलों के चलते न्यूक्लियर प्लांट में आग लग गई, जिससे इलाके में अफरातफरी का माहौल बन गया।
रूस का आरोप
रूस का कहना है कि यूक्रेन ने ये हमला उसके कुर्स्क क्षेत्र में स्थित न्यूक्लियर पावर प्लांट पर किया। रूस ने इसे यूक्रेन की सोची-समझी रणनीति बताया और आरोप लगाया कि यह हमला जानबूझकर 34वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर किया गया। रूस की ओर से तुरंत सैनिकों को मौके पर भेजा गया, जिन्होंने कई घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
यूक्रेन का दावा
यूक्रेन ने दावा किया कि उसने अपने स्वतंत्रता दिवस पर रूस के न्यूक्लियर प्लांट और बिजली केंद्रों को निशाना बनाकर हमला किया। यूक्रेन का कहना है कि यह कार्रवाई उसके सैन्य अभियान का हिस्सा है। ड्रोन अटैक के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जिनमें धमाकों और आग की लपटों को साफ देखा जा सकता है।
नुकसान और स्थिति
हालांकि, अब तक इस हमले में किसी के घायल होने की खबर सामने नहीं आई है। लेकिन न्यूक्लियर प्लांट में आग लगने से वहां भारी नुकसान हुआ है। रूस की ओर से दावा किया जा रहा है कि उनकी सुरक्षा एजेंसियां हालात पर पूरी तरह काबू पा चुकी हैं। वहीं, बिजली केंद्रों पर हुए हमले से ऊर्जा सप्लाई पर असर पड़ा है।
स्वतंत्रता दिवस पर यूक्रेन का संदेश
यूक्रेन ने इस हमले को अपने स्वतंत्रता दिवस से जोड़ते हुए कहा कि यह उनकी आज़ादी और मजबूती का प्रतीक है। यूक्रेन ने संकेत दिया कि वह रूस के खिलाफ हर स्तर पर लड़ाई जारी रखेगा। वहीं, रूस इस कार्रवाई को अपनी संप्रभुता पर हमला मान रहा है।
दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव
इस हमले के बाद एक बार फिर दोनों देशों के बीच तनाव और गहरा गया है। न्यूक्लियर प्लांट जैसे संवेदनशील स्थल पर हमला न केवल रूस बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। कई अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ इस हमले को बेहद खतरनाक बताते हुए संभावित बड़े संकट की चेतावनी दे रहे हैं।
👉 कुल मिलाकर, यूक्रेन के इस ड्रोन हमले ने रूस-यूक्रेन युद्ध को और तीखा कर दिया है। न्यूक्लियर प्लांट पर हमला जहां गंभीर खतरे का संकेत है, वहीं बिजली केंद्रों को नुकसान पहुंचना आने वाले समय में ऊर्जा संकट को और बढ़ा सकता है।