ईरान के पूर्व सलाहकार और धार्मिक नेता के फतवे से मचा बवाल
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव लगातार गहराता जा रहा है। इस बार मामला और गंभीर होता दिख रहा है क्योंकि ईरान के एक शीर्ष पूर्व अधिकारी और शिया धार्मिक नेता ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को निशाना बनाने के संकेत दिए हैं। इन बयानों के बाद पश्चिम एशिया में राजनीतिक भूचाल आया है और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ गई है।
लारीजानी का दावा: ड्रोन से हो सकता है हमला
ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के पूर्व सलाहकार मुहम्मद जवाद लारीजानी ने एक ईरानी टीवी चैनल पर बातचीत के दौरान कहा कि ट्रंप पर उस समय हमला हो सकता है, जब वह फ्लोरिडा के अपने रिज़ॉर्ट मार-ए-लागो में धूप सेंक रहे होंगे। उन्होंने कहा कि उस समय ट्रंप की नाभि को ईरान का एक छोटा ड्रोन निशाना बना सकता है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यह सिर्फ धमकी नहीं बल्कि हकीकत में भी तब्दील हो सकता है।
अमेरिकी हमले के जवाब में आया बयान
लारीजानी का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका ने कुछ सप्ताह पहले ईरान के तीन बड़े परमाणु संयंत्रों – फोर्डो, नातांज और इस्फहान – पर हमला किया था। इस हमले के बाद ही ईरान की तरफ से ट्रंप पर संभावित बदले की कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं।
धार्मिक फतवा: ट्रंप और नेतन्याहू घोषित दुश्मन
वहीं, ईरान के वरिष्ठ शिया धर्मगुरु अयातुल्ला मकरेम शिराजी ने भी हाल ही में एक फतवा जारी किया है। इस फतवे में ट्रंप और इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को “खुदा का दुश्मन” करार दिया गया है। इस बयान से दोनों नेताओं की सुरक्षा को लेकर खतरा और बढ़ गया है।
पहले भी सामने आए थे ऐसे संकेत
इससे पहले भी ईरान में खामेनेई की हत्या को लेकर चर्चाएं हुई थीं। उस समय ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने खामेनेई को “खौफनाक मौत” से बचाया था, जबकि नेतन्याहू ने इस तरह की किसी भी घटना को लेकर कोई गंभीर प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
अमेरिकी एयरबेस पर ईरानी मिसाइल हमला
23 जून को ईरान ने कतर स्थित अमेरिकी वायुसेना अड्डे अल उदैद पर मिसाइलें दागीं। इसमें अत्याधुनिक संचार केंद्र जियोडेसिक डोम पूरी तरह तबाह हो गया। यह डोम किसी भी परिस्थिति में सुरक्षित और ट्रैक न किए जा सकने वाले संवाद के लिए प्रयोग होता है। हालांकि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय और कतर की सरकार ने इस हमले पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।
निष्कर्ष
ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ती तल्खी एक बार फिर वैश्विक राजनीति के केंद्र में है। लारीजानी की ओर से ट्रंप की हत्या का संकेत और धार्मिक फतवा जैसे कदम इस तनाव को और खतरनाक दिशा में ले जा सकते हैं। आने वाले दिनों में यह देखा जाना बाकी है कि अमेरिका इन घटनाओं पर क्या रणनीतिक प्रतिक्रिया देता है।