तहव्वुर राणा को भारत लाकर कोर्ट में पेश किया गया, NIA ने मांगी 20 दिन की हिरासत
26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाकर NIA ने पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया। उसे दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतारते ही एनआईए की टीम ने गिरफ्त में लेकर कोर्ट पहुंचाया। अदालत में पेशी के बाद अब उसे तिहाड़ जेल में रखा जाएगा, जहां उसकी सुरक्षा को लेकर खास इंतजाम किए गए हैं।
एनआईए की 7 सदस्यीय टीम लेकर आई राणा को
राष्ट्रीय जांच एजेंसी की 7 सदस्यीय टीम तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाई। दिल्ली लाने के बाद उसे सीधे कोर्ट में पेश किया गया। यह मामला भारत के लिए संवेदनशील है, क्योंकि राणा पर 26/11 आतंकी हमले की साजिश में शामिल होने का गंभीर आरोप है।
कोर्ट में NIA ने मांगी 20 दिन की कस्टडी
पटियाला हाउस कोर्ट में राणा की पेशी के दौरान एनआईए ने 20 दिन की हिरासत की मांग की। एनआईए के वकील दयान कृष्णन ने कोर्ट को बताया कि मामले से जुड़े सबूतों की पुष्टि और अन्य तथ्यों की जांच के लिए राणा से गहन पूछताछ जरूरी है। उन्होंने कोर्ट में रिमांड नोट पेश किया, जिसमें राणा पर लगे आरोपों और सबूतों की जानकारी दी गई। सुनवाई फिलहाल बंद कमरे में हो रही है और अदालत ने कस्टडी पर फैसला सुरक्षित रखा है।
राणा को कानूनी सहायता देने के लिए नियुक्त हुआ वकील
दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से तहव्वुर राणा को कानूनी सहायता देने के लिए वकील पीयूष सचदेवा को नियुक्त किया गया है। कोर्ट में राणा की ओर से वही दलील पेश कर रहे हैं। उनकी नियुक्ति सरकारी कानूनी सहायता के तहत की गई है।
कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
राणा की पेशी को लेकर पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में सुरक्षा चाक-चौबंद रही। पुलिस बल की भारी तैनाती, बैरिकेडिंग और डॉग स्क्वॉड की मौजूदगी ने माहौल को पूरी तरह नियंत्रित रखा। एनआईए की डीआईजी जया राय, एसपी प्रभात कुमार और आईजी आशीष बत्रा उस टीम का हिस्सा थे, जो राणा को एयरपोर्ट से कोर्ट और फिर एनआईए मुख्यालय तक लेकर गई।
किरण बेदी ने कहा– ज़रूरत है विशेष निगरानी की
राणा के भारत लाए जाने को लेकर पूर्व आईपीएस और पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी ने कहा कि तिहाड़ में पहले भी बड़े अपराधी रखे गए हैं, लेकिन राणा का मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत संवेदनशील है। उन्होंने सुझाव दिया कि राणा को एकांत निगरानी, इंटर-एजेंसी निगरानी और AI आधारित सुरक्षा के तहत रखा जाए। साथ ही उसे अदालत तक ले जाने और मुकदमे की प्रक्रिया में विशेष सुरक्षा उपाय किए जाएं।