तालिबान के हाथ लगा पाकिस्तानी सेना का काल, पहली बार तैनात की गाइडेड मिसाइल
अफगानिस्तान पर काबिज तालिबान के लिए एक बड़ी रणनीतिक सफलता हाथ लगी है। शनिवार को तालिबान के अंतरिम प्रशासन ने राजधानी काबुल में एक नए गाइडेड रॉकेट सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण करने का दावा किया। यह गाइडेड रॉकेट सिस्टम बख्तरबंद टैंकों, युद्धपोतों और कम उड़ान वाले हेलीकॉप्टरों को निशाना बनाने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।
तालिबान के पास अब गाइडेड मिसाइल
तालिबान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता खोवाराजमी के मुताबिक, यह गाइडेड मिसाइल, जिसका नाम कोंकुरसी (9M135) है, अब एक्टिव ड्यूटी में शामिल हो गई है। यह मिसाइल बख्तरबंद टैंकों और युद्धपोतों के साथ-साथ कम उड़ान वाले हेलीकॉप्टरों को भी निशाना बना सकती है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि अगर पाकिस्तान और तालिबान के बीच कोई सैन्य संघर्ष होता है, तो यह मिसाइल खेल का नक्शा बदलने के लिए सक्षम हो सकती है।
तालिबान और पाकिस्तान के बीच पुराना विवाद
तालिबान और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चल रहा है। इसके अलावा, दोनों के बीच तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को लेकर भी गहरे मतभेद हैं। पाकिस्तान में तालिबान के प्रभाव को लेकर भी दोनों देशों के बीच तनाव देखा गया है।
गाइडेड मिसाइल की क्षमता
तालिबान के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता इनायतुल्लाह ख़्वारजमी ने कहा कि 13 अफगान सैनिकों ने इस गाइडेड मिसाइल को चलाने का प्रशिक्षण पूरा किया है। यह प्रशिक्षण एक महीने का था, जिसमें उन्हें इस मिसाइल के इस्तेमाल की सभी आवश्यक जानकारी दी गई। इन सैनिकों ने इस प्रशिक्षण को पूरा करने के बाद स्नातक की उपाधि प्राप्त की। यह मिसाइल पहली बार अफगानिस्तान में सक्रिय की गई है और इसे बख्तरबंद टैंकों तथा कम उड़ान वाले हेलीकॉप्टरों को निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
तालिबान की सैन्य रणनीति
तालिबान के नेतृत्व ने अपनी सेना को उन्नत हथियारों से लैस करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। विदेश मामलों के उप राजनीतिक मंत्री ने इस्लामिक अमीरात की सेना को आधुनिक हथियारों से सुसज्जित करने के महत्व को रेखांकित किया। अफगानिस्तान के सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए यह अत्यंत आवश्यक है।
सैन्य विशेषज्ञ हमीदुल्लाह होतक के अनुसार, “अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए अधिक आधुनिक उपकरणों और औजारों की आवश्यकता है, क्योंकि हमारे देश को बार-बार विदेशी देशों द्वारा आक्रमणों का सामना करना पड़ा है।”
तालिबान का हथियारों का भंडार
इससे पहले तालिबान ने यह दावा किया था कि उसने अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना द्वारा छोड़े गए सैन्य उपकरणों और हथियारों पर कब्जा कर लिया है। सीएनएन के अनुसार, अमेरिका ने अफ़गानिस्तान में लगभग 7 बिलियन डॉलर के सैन्य उपकरण और हथियार छोड़े थे, जिन्हें अफगान सरकार को सौंपा गया था। काबुल पर कब्ज़ा करने के बाद, तालिबान ने इन उपकरणों और हथियारों पर नियंत्रण कर लिया, जिनमें 70 सैन्य विमानों और हेलीकॉप्टरों को भी मरम्मत किया गया था।
इससे साफ हो रहा है कि तालिबान अब अपने सैन्य क्षमता को और बढ़ा रहा है, और इसके पास अब कुछ अत्याधुनिक हथियार भी मौजूद हैं, जो भविष्य में पाकिस्तान के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकते हैं।