जेनरेशन Z में पीठ दर्द क्यों बन रहा है आम समस्या? जानिए कारण और उपाय
आजकल की युवा पीढ़ी यानी जनरेशन Z में पीठ दर्द एक आम परेशानी बनती जा रही है। स्कूल, कॉलेज या नौकरी में व्यस्त रहने वाले युवा अक्सर गर्दन, कंधे और पीठ के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत करते हैं। यह समस्या सिर्फ उम्र बढ़ने से जुड़ी नहीं रह गई है, बल्कि युवाओं में भी तेजी से फैल रही है। आइए जानते हैं इसके पीछे की असली वजहें और इससे कैसे बचा जा सकता है।
स्क्रीन टाइम और लाइफस्टाइल की बड़ी भूमिका
युवाओं में पीठ दर्द का सबसे बड़ा कारण है लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठना। मोबाइल, लैपटॉप और कंप्यूटर पर घंटों बिताना आज की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। इस वजह से रीढ़ की हड्डी पर लगातार दबाव पड़ता है और शरीर की मुद्रा भी बिगड़ जाती है। जब युवा एक्सरसाइज करते भी हैं, तो या तो बहुत कम करते हैं, या फिर गलत तरीके से। इससे मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और दर्द की समस्या और बढ़ जाती है।
खराब मुद्रा और टेक्स्ट नेक की समस्या
गलत तरीके से बैठना या झुककर मोबाइल देखना आज की एक आम आदत बन चुकी है। इसी वजह से ‘टेक्स्ट नेक’ नाम की स्थिति उत्पन्न होती है जिसमें गर्दन में अकड़न और दर्द महसूस होता है। कई बार वजन उठाते समय सही तकनीक का पालन न करना भी पीठ की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे रीढ़ की हड्डी को नुकसान हो सकता है।
मानसिक तनाव भी है एक बड़ा कारण
युवा पीढ़ी में बढ़ता तनाव, चिंता और डिप्रेशन भी पीठ दर्द के पीछे का एक प्रमुख कारण है। जब व्यक्ति लंबे समय तक तनाव में रहता है, तो मांसपेशियां सख्त हो जाती हैं, खासकर गर्दन और पीठ की। इससे दर्द और असहजता महसूस होती है। नियमित ध्यान, योग और रिलैक्सेशन तकनीकों से इस दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
समय रहते करें सावधानी, वरना बढ़ सकती है परेशानी
अगर इस समस्या को समय रहते पहचान लिया जाए, तो गंभीर स्थितियों से बचा जा सकता है। इसके लिए जनरेशन Z को चाहिए कि वे अपने रूटीन में सुधार करें। स्क्रीन टाइम को सीमित करें, रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें और बैठने की मुद्रा को ठीक रखें। साथ ही, पर्याप्त नींद लेना, तनाव को नियंत्रित करना और संतुलित आहार लेना बेहद जरूरी है।
डॉक्टर की सलाह भी है जरूरी
यदि दर्द लगातार बना रहे तो इसे नजरअंदाज न करें। सही समय पर डॉक्टर से सलाह लेकर इलाज शुरू कर देना चाहिए। नियमित फिजियोथैरेपी, योग और स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज से भी राहत मिल सकती है।