परिवारों पर आर्थिक संकट की गहरी मार
इन कर्मचारियों के निकाले जाने के बाद, उनके परिवारों पर गंभीर आर्थिक संकट का खतरा मंडरा रहा है। 408 परिवारों की रोजी-रोटी छिनने से उनकी आर्थिक स्थिति पर भारी प्रभाव पड़ा है।
दो महीने से बहाली के इंतजार में कर्मचारी
हालांकि केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) से स्वीकृति मिल चुकी है, फिर भी इन कर्मचारियों की बहाली अब तक नहीं हो पाई है। MoRD ने सभी राज्यों को इन कर्मचारियों को मिशन में मर्ज करने का निर्देश दिया था। राजस्थान, असम, झारखंड, बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने इन कर्मचारियों को पुनः मिशन में मर्ज कर लिया है, लेकिन मध्य प्रदेश में पिछले दो महीने से सिर्फ आश्वासन ही मिल रहे हैं।
मध्य प्रदेश में केंद्र के निर्देशों की अनदेखी
जबकि अन्य राज्यों में M0RD के निर्देशों का पालन करते हुए कर्मचारियों को पुनः नियुक्त किया गया है, मध्य प्रदेश में स्थिति अब भी जस की तस बनी हुई है। पिछले महीने कई कर्मचारियों ने मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से मुलाकात की, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला।
लखपति दीदी योजना में योगदान की संभावनाएँ
ये कर्मचारी पिछले ढाई साल से NRETP परियोजना में अपनी सेवाएँ दे रहे थे। इस परियोजना ने मध्य प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर पहला स्थान दिलाया है, जिससे कई ग्रामीण परिवारों की आजीविका में सुधार हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन करोड़ परिवारों को लखपति बनाने के सपने में इन 408 कर्मचारियों का अहम योगदान हो सकता था।
भाजपा शासित राज्यों में निर्देशों का पालन, मध्य प्रदेश में अनदेखी
जहाँ अन्य भाजपा शासित राज्यों ने मोदी जी के सपने को साकार करते हुए NRETP परियोजना के कर्मचारियों को मिशन में मर्ज कर लिया है, वहीं मध्य प्रदेश सरकार ने अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इससे 408 परिवार आर्थिक तंगी की मार झेल रहे हैं।
सरकार एक ओर जहाँ बेरोजगारी खत्म करने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर कार्यरत कर्मचारियों को बाहर कर देने से इन परिवारों के सामने गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। अब देखना यह है कि सरकार कब इन कर्मचारियों की पुनः बहाली करती है और उन्हें राहत प्रदान करती है।