भारत ने बांग्लादेश को भेजा संदेश, बॉर्डर पर बाड़बंदी को लेकर उठाए गए कदम
भारत ने बांग्लादेश को स्पष्ट संदेश दिया है कि पश्चिम बंगाल सीमा पर बाड़बंदी की शुरुआत एक सुरक्षा कदम था, जो दोनों देशों के हित में है। बांग्लादेश की ओर से विरोध जताए जाने पर, भारत ने बांग्लादेश के हाई कमिश्नर को तलब किया और उन्हें इसके पीछे की वजह समझाई। बांग्लादेश के नेता मुहम्मद युनूस की सरकार ने इस कदम को लेकर चिंता जताई थी और भारत से इसे रोकने की मांग की थी, लेकिन भारत ने अपना जवाब पूरी सख्ती से दिया।
भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए बाड़बंदी
भारत ने बांग्लादेश के उच्चायुक्त नूर-अल-इस्लाम को तलब किया और उन्हें समझाया कि बांग्लादेश से भारत में अवैध घुसपैठ की घटनाएं बढ़ रही थीं। कई बार बांग्लादेश से लोग भारत में घुसने की कोशिश करते थे, जिनमें से कुछ घुसपैठियों को पकड़ भी लिया गया था। इसके अलावा, भारत ने बांग्लादेश को यह भी बताया कि शेख हसीना के एक नेता की लाश भी भारत की सीमा पर बहकर आई, जो इस बात का उदाहरण है कि सीमा पार से किस तरह की घटनाएं घटित हो रही थीं।
भारत ने बांग्लादेश के उच्चायुक्त को स्पष्ट रूप से बताया कि बाड़बंदी का फैसला सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करते हुए लिया गया है। विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि बांग्लादेश को इस कदम को समझने की जरूरत है और उसे सहयोग करना चाहिए। भारत ने यह स्पष्ट किया कि सीमा पार से आपराधिक गतिविधियां बढ़ रही थीं, जिसमें तस्करी और अपराधी भारत में घुसकर अपराध करने की घटनाएं शामिल थीं। इन सब समस्याओं से निपटने के लिए बाड़बंदी जरूरी थी।
भारत का कड़ा कदम और भविष्य की दिशा
भारत ने नूर-अल-इस्लाम को यह भी बताया कि बॉर्डर पर कंटीले तारों की बाड़बंदी, लाइट की व्यवस्था, तकनीकी उपकरणों का उपयोग और जानवरों के प्रवेश को रोकने के लिए इंतजाम किए जाएंगे। इसके अलावा, भारत ने आशा व्यक्त की कि बांग्लादेश भी अपने समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करेगा और सीमा पार से हो रही अपराध गतिविधियों पर काबू पाएगा।
भारत ने बांग्लादेश को एक कड़ा संदेश भेजा है कि सुरक्षा के दृष्टिकोण से जो भी कदम जरूरी होंगे, भारत उन्हें उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस कदम से यह भी साबित हो गया कि भारत अपनी सीमा की सुरक्षा को लेकर बेहद सख्त और सतर्क है।