जुलाई से Lakhimpur के निघासन, पलियाकलां, धौरहरा और सदर तहसील के फूलबेहड़ व नकहा क्षेत्र बाढ़ की चपेट में हैं। हालात शुक्रवार के बाद से और बिगड़ गए हैं, और लगभग 250 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। मुख्य सड़कों, संपर्क मार्गों और घरों में बाढ़ का पानी भर गया है, जिससे लोगों को भोजन और पीने के पानी की कड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। पानी भर जाने के कारण घरों में रखा अनाज खराब हो गया है, और लोग भूख से परेशान होकर पेट दबा कर सोने को मजबूर हैं।
तहसील निघासन के गांव गोतेबाज पुरवा में शारदा नदी की बाढ़ का पानी पिछले पांच दिन से भरा हुआ है। गांव के लोग छतों या ऊंचे स्थानों पर रह रहे हैं और खाने की सारी सामग्री खत्म हो चुकी है। प्रशासन का कोई भी प्रतिनिधि अब तक गांव नहीं आया है। जब भी किसी तरह का खाना बनता है, बच्चे घेरकर इंतजार करते हैं। चारपहिया वाहन गुजरते ही बच्चे दौड़कर ललचाई नजरों से देखते हैं, भोजन की उम्मीद में।
पलिया, निघासन, फूलबेहड़, बिजुआ और धौरहरा क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांवों में स्थिति अब भी गंभीर है। घरों में पानी भर गया है और लोग छतों या सड़कों पर बसे हुए हैं, जहां उन्हें भोजन, पानी और प्रकाश की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। पलिया-भीरा मार्ग पर आवागमन अभी भी बहाल नहीं हो पाया है, और बाइक चालक जोखिम उठाकर यात्रा कर रहे हैं। निघासन के गोतेबाज पुरवा के लोग छतों पर और बस्ती पुरवा के ग्रामीण सड़क किनारे पड़े हैं। शारदा नदी ने गांव ग्रंट 12 में कटान तेज कर दिया है, जिससे स्थिति और भी विकराल हो गई है।

निघासन तहसील के बाढ़ प्रभावित गांवों के ग्रामीण एक ओर प्रकृति के कहर का सामना कर रहे हैं, तो दूसरी ओर प्रशासन की उपेक्षा का भी शिकार हो रहे हैं। गोतेबाज पुरवा के लोग छतों पर आश्रय लिए हुए हैं, जबकि बस्तीपुरवा के पीड़ित सड़क किनारे पड़े हैं। शारदा नदी की बाढ़ का पानी पांच दिन से गोतेबाज पुरवा में भरा हुआ है, और यहाँ रास्ते पर केवल नाव से ही आवागमन संभव है। गांव के लोग छतों पर अपने आशियाने बना चुके हैं, और जब फूला, कमरूननिशा, जहाना, उमर, इम्तियाज, सलमान, छंगा और निहाल ने अपने दर्द को साझा किया, तो उनकी आंखों में आंसू छलक पड़े।
गोतेबाज पुरवा के बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि उनकी सभी खाद्य सामग्री समाप्त हो चुकी है और वे एक-दूसरे से सामान मांग कर किसी तरह गुज़ारा कर रहे हैं। अचानक आई बाढ़ से अनाज भी भीग चुका है और पिछले पांच दिन से कोई भी उनकी स्थिति देखने नहीं आया है। बाढ़ पीड़ित प्रधान और प्रशासन दोनों ही गुस्से में हैं।
बरोठा के बस्तीपुरवा और मोहल्ला नानक नगर में भी स्थिति खराब है। बरोठा जाने वाले रास्ते पर बाढ़ पीड़ित पिछले तीन दिन से पड़े हैं। मनोज ने बताया कि उनका छप्पर वाला घर पूरी तरह पानी में बह गया है और पिछले महीने भी बाढ़ के दौरान कोई मदद नहीं मिली थी। इस बार भी सड़क पर पड़े हुए तीन दिन हो चुके हैं, और न तो लंच पैकेट मिला है, न ही कोई उनका हाल जानने आया है। खाना बनाने के लिए सूखी लकड़ियां भी नहीं मिल रही हैं, और गैस सिलेंडर भरवाने के लिए पैसे नहीं हैं। किसी तरह से एक समय का खाना मिल पा रहा है।

अदलाबाद-निघासन मार्ग पर एक किलोमीटर तक दो से तीन फुट पानी भरा है, खासकर कटी बगिया के पास, जिससे लोग जान जोखिम में डालकर वाहन निकाल रहे हैं।
एसडीएम राजीव निगम का दावा है कि सिर्फ 19 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं, और सभी प्रभावित स्थानों पर लंच पैकेट भेजे जा रहे हैं। हालांकि, स्थानीय लोगों के अनुसार वास्तविक स्थिति इससे कहीं गंभीर है।