अमेरिका को चीन का करारा जवाब: टैरिफ बढ़ा 125%, शी जिनपिंग बोले- “आखिरी दम तक लड़ेंगे”
अमेरिका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वॉर अब और तीखी हो गई है। अमेरिका द्वारा चीनी सामानों पर टैरिफ बढ़ाने के बाद अब चीन ने भी पलटवार किया है। चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ को 84% से बढ़ाकर 125% तक कर दिया है। यह नया टैरिफ 12 अप्रैल से लागू हो गया है।
इस कड़ी प्रतिक्रिया के बाद एक बार फिर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। चीन के वित्त मंत्रालय ने बयान जारी कर साफ किया कि अगर अमेरिका उनके राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करेगा, तो चीन पूरी ताकत से जवाब देगा। मंत्रालय ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि “अगर ज़रूरत पड़ी, तो हम आखिरी सांस तक लड़ेंगे।”
अमेरिका के टैरिफ का जवाब उसी भाषा में
अमेरिका ने चीन से आने वाले कुछ विशेष उत्पादों पर टैरिफ को 125% से बढ़ाकर 145% कर दिया था। इस निर्णय के कुछ ही घंटों बाद चीन ने भी अपनी तरफ से बड़ा ऐलान कर दिया। अब अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर चीन में 125% तक शुल्क देना होगा।
यह कदम उस समय उठाया गया है जब पहले से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे में दुनिया की दो सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों के बीच यह टकराव अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर भी असर डाल सकता है।
शी जिनपिंग की पहली प्रतिक्रिया: “चीन किसी से नहीं डरता”
इस पूरे घटनाक्रम के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी पहली बार प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चीन न कभी किसी से दबा है और न ही किसी के आगे झुकेगा। उन्होंने कहा, “हमने कभी किसी के दान पर जिंदगी नहीं बिताई है। अगर दुनिया में कोई देश सोचता है कि वह चीन पर दबाव बनाकर अपनी बात मनवा सकता है, तो वह बहुत बड़ी भूल कर रहा है।”
बीजिंग में स्पेन के प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान जिनपिंग ने कहा कि चीन हर परिस्थिति में अपनी राह खुद तय करेगा और आत्मनिर्भर बनेगा। उन्होंने दो टूक कहा कि “इस तरह के ट्रेड वॉर में जीत किसी की नहीं होती, बल्कि इससे केवल वैश्विक अस्थिरता बढ़ती है।”
अमेरिका पर ‘नंबर गेम’ खेलने का आरोप
चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह टैक्स को सिर्फ नंबर के खेल की तरह इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा, “बार-बार टैक्स बढ़ाना केवल दबाव की रणनीति है, जिसका कोई आर्थिक आधार नहीं है। यदि अमेरिका ऐसा करता रहा, तो चीन जवाब देने में पीछे नहीं हटेगा।”
इसके साथ ही चीन ने यूरोपीय यूनियन से भी आग्रह किया है कि वह अमेरिका की ‘एकतरफा दबाव नीति’ के खिलाफ बीजिंग के साथ मिलकर खड़ा हो।
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि अमेरिका और चीन के बीच का यह टकराव जल्दी खत्म होने वाला नहीं है, और इसका असर सिर्फ दोनों देशों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक व्यापार को भी झटका लग सकता है।