बांग्लादेश में बर्बरता की हदें पार: हिंदू व्यापारी की हत्या के बाद शव पर नाचा भीड़ ने
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यहां एक हिंदू स्क्रैप व्यापारी की भीड़ ने बेरहमी से हत्या कर दी और हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए शव पर नृत्य तक किया। इस अमानवीय कृत्य के बाद पूरे बांग्लादेश में आक्रोश फैल गया है। पुलिस ने अब तक इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया है और राष्ट्रीय स्तर पर तलाशी अभियान भी शुरू कर दिया गया है।
मितफोर्ड अस्पताल के पास हुई वीभत्स हत्या
घटना मितफोर्ड अस्पताल के पास की है, जहां एक स्क्रैप व्यापारी का स्थानीय लोगों से व्यवसायिक विवाद हो गया था। इस झगड़े ने हिंसक रूप ले लिया और कुछ लोगों ने व्यापारी को घेर कर उस पर कंक्रीट के भारी टुकड़ों से हमला कर दिया। पीट-पीट कर उसकी हत्या कर दी गई।
हत्या के बाद जो दृश्य सामने आया, उसने मानवता को शर्मसार कर दिया। हमलावरों ने मृतक के शव के चारों ओर नाचना शुरू कर दिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
सरकार पर भीड़ हिंसा रोकने में नाकामी का आरोप
घटना के बाद बांग्लादेश में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। सैकड़ों छात्र और नागरिक ढाका की सड़कों पर उतर आए और अंतरिम सरकार पर आरोप लगाया कि वह लगातार बढ़ रही भीड़ हिंसा पर काबू पाने में विफल रही है। लोगों ने सरकार की निष्क्रियता को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया।
सात आरोपी गिरफ्तार, स्पीडी ट्रायल की तैयारी
बांग्लादेश पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (DB) ने शनिवार रात दो और लोगों को गिरफ्तार किया। पहले ही इस मामले में पांच लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें हत्या में सीधे शामिल तितोन गाजी को पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है।
पुलिस ने पुष्टि की है कि इस वीभत्स हत्याकांड को स्पीडी ट्रायल ट्रिब्यूनल में भेजा जाएगा, ताकि दोषियों को जल्द सज़ा दी जा सके। बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जहांगीर आलम चौधरी ने घटना को “अत्यंत दुखद और बर्बर” बताया है।
‘प्रोजनमो छत्र’ स्मारक को रातोंरात गिराया गया
इस हत्या के बाद बढ़ते जनाक्रोश को देखते हुए अंतरिम सरकार ने रातोंरात शाहबाग स्थित प्रसिद्ध स्मारक ‘प्रोजनमो छत्र’ को बुलडोजर से ढहा दिया। यह वही स्थान है जहां 2013 में शाहबाग आंदोलन की शुरुआत हुई थी। आवास मंत्रालय का कहना है कि यहां पर अब एक नया स्मारक बनाया जाएगा, लेकिन अचानक लिए गए इस फैसले से जनता में और असंतोष फैलने की संभावना जताई जा रही है।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में इस प्रकार की भीड़ हिंसा केवल कानून व्यवस्था पर सवाल नहीं उठाती, बल्कि देश की सामाजिक और सांप्रदायिक स्थिति को लेकर भी चिंता बढ़ाती है। एक व्यवसायिक विवाद का इस हद तक पहुंच जाना और फिर शव के साथ बर्बरता मानवता को कलंकित करता है। अब देखना होगा कि क्या सरकार दोषियों को सख्त सज़ा देकर न्याय की उम्मीदों पर खरा उतर पाएगी या फिर यह मामला भी सिर्फ एक और वायरल वीडियो बनकर रह जाएगा।