दिल्ली की महिलाओं को ईवी पर बड़ी राहत, मिलेगी 36,000 रुपये तक की सब्सिडी
राजधानी दिल्ली में महिलाओं को इलेक्ट्रिक वाहनों पर खास तोहफा मिलने जा रहा है। सरकार जल्द ही इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी 2.0 लागू करने की तैयारी में है, जिसमें खासतौर पर महिलाओं के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन का प्रस्ताव रखा गया है। इस पॉलिसी का मकसद न केवल प्रदूषण को कम करना है, बल्कि महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना भी है।
नई नीति के अनुसार, पहली 10,000 पात्र महिला खरीदारों को इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर पर प्रति किलोवाट बैटरी क्षमता के हिसाब से 12,000 रुपये की दर से अधिकतम 36,000 रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। यह सब्सिडी खास तौर पर महिला उपभोक्ताओं के लिए निर्धारित की गई है। वहीं, अन्य सभी उपभोक्ताओं (पुरुष और महिलाएं दोनों) को प्रति किलोवाट 10,000 रुपये के हिसाब से अधिकतम 30,000 रुपये तक की सब्सिडी का लाभ मिलेगा। यह व्यवस्था साल 2030 तक लागू रहेगी।
क्यों लाई जा रही है EV पॉलिसी 2.0?
दिल्ली की हवा की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। ऐसे में सरकार का उद्देश्य यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोग पारंपरिक वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाएं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली में पीएम 2.5 प्रदूषण का लगभग 47% हिस्सा वाहनों से निकलने वाले धुएं से आता है। नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे प्रदूषक भी इसी वजह से तेजी से बढ़ रहे हैं।
इसी को देखते हुए इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी 2.0 को पर्यावरण सुधार के एक मजबूत कदम के तौर पर पेश किया जा रहा है। इससे ना केवल ट्रैफिक से निकलने वाला प्रदूषण कम होगा, बल्कि नागरिकों को कम लागत में सफर करने का विकल्प भी मिलेगा।
महिलाओं को होगा सीधा लाभ
इस योजना से खासकर महिलाओं को सीधा फायदा मिलेगा। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की खरीद पर मिलने वाली सब्सिडी से न केवल वाहन की लागत घटेगी, बल्कि उनकी दैनिक यात्रा अधिक सुरक्षित, सुविधाजनक और किफायती हो जाएगी। इसके साथ ही यह योजना महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
कब होगी पॉलिसी की घोषणा?
सूत्रों के मुताबिक, सरकार बहुत जल्द EV पॉलिसी 2.0 की औपचारिक घोषणा कर सकती है। फिलहाल इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है और जल्दी ही इसे सार्वजनिक किया जाएगा। पॉलिसी के लागू होते ही दिल्लीवासी इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर रुख करने के लिए और अधिक प्रेरित होंगे।
इस कदम से दिल्ली को स्वच्छ और हरित राजधानी बनाने की दिशा में बड़ा योगदान मिलने की उम्मीद है। साथ ही, यह पहल महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकती है।