AI से Heart Attack का पता लगाना होगा आसान
AI ने पिछले कुछ सालों में हेल्थकेयर और मेडिकल जांच के तरीकों में एक नई दिशा दी है। दिल्ली AIIMS के डॉक्टरों ने अब एक ऐसा AI मॉडल तैयार किया है, जो हार्ट अटैक (Heart Attack) से पहले के संकेतों को समझने में सक्षम है। ये मॉडल हार्ट अटैक के होने से आधा घंटे पहले ही अलर्ट कर सकता है, जिससे समय पर इलाज शुरू कर मरीज की जान बचाई जा सकती है।
दिल्ली AIIMS के हार्ट डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ. एस रामकृष्णन की अगुआई में इस रिसर्च को अंजाम दिया गया। उन्होंने इस स्टडी में बताया कि AI का इस्तेमाल कैसे हार्ट अटैक के मामलों में लोगों की जान बचाने में कारगर साबित हो सकता है। रिसर्च के मुताबिक, यह टेक्नीक 74% मामलों में प्रभावी रही है और कुछ विशेष मामलों में तो यह 14 घंटे पहले ही हार्ट अटैक का अलर्ट दे सकती है।
चार महत्वपूर्ण जांचें, AI का मैजिक
इस AI मॉडल को चार सामान्य प्रकार की मेडिकल जांचों पर आधारित किया गया है:
- Systolic BP (ब्लड प्रेशर)
- Heart Rate
- Body Temperature
- Breath Rate
इन चार जांचों से AI यह पता लगा सकता है कि मरीज को हार्ट अटैक होने की संभावना है या नहीं। हार्ट अटैक के दौरान दिल की धड़कन रुक जाती है, और अगर समय पर इलाज न मिले, तो मरीज की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में यह AI मॉडल समय से पहले अलर्ट करके मरीज को तुरंत इलाज दिलाने में मददगार साबित होगा।
साउथ कोरिया के अस्पताल में AI का सफल मॉडल
इस रिसर्च के दौरान प्रोफेसर रामकृष्णन ने साउथ कोरिया के एक अस्पताल में इस्तेमाल किए गए AI मॉडल का भी जिक्र किया। वहां के डॉक्टरों ने एक ऐसा खास AI सिस्टम तैयार किया है जो हार्ट अटैक से आधे घंटे पहले अलर्ट कर देता है। इसका सफल परीक्षण किया गया है, जिसमें यह मॉडल 74% मामलों में कारगर साबित हुआ। इसके अलावा, कुछ गंभीर मामलों में यह मॉडल 14 घंटे पहले ही हार्ट अटैक की संभावना का संकेत दे देता है।
मासूमों की भी बचाई जा सकती है जान
दिल्ली AIIMS के प्रोफेसर रामकृष्णन ने इस रिसर्च में बताया कि भारत में भी इस AI टेक्नीक को अपनाया जा सकता है। खासकर बच्चों के मामले में, जब दिल की सर्जरी के दौरान 3 से 6 फीसदी मामलों में बच्चों को Cardiac Arrest का सामना करना पड़ता है। इस तकनीक के जरिए बच्चों की जान भी बचाई जा सकती है। कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है, जो एक जानलेवा स्थिति हो सकती है। हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर होता है, लेकिन दोनों ही स्थितियों में समय पर इलाज मिलना बेहद जरूरी होता है। AI के इस मॉडल की मदद से बच्चों की जान बचाने में भी सफलता मिल सकती है।
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर
रिसर्च में इस बात पर भी जोर दिया गया कि हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट दो अलग-अलग स्थितियां हैं। हार्ट अटैक तब होता है जब दिल में खून का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे दिल की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। वहीं, कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है। यह स्थिति हार्ट अटैक से भी ज्यादा गंभीर हो सकती है, क्योंकि अगर दिल धड़कना बंद कर दे, तो ऑक्सीजन का प्रवाह भी बंद हो जाता है, जिससे शरीर के बाकी अंगों को नुकसान पहुंचता है।
दिल्ली AIIMS की इस रिसर्च ने साफ कर दिया है कि AI का इस्तेमाल हेल्थकेयर में और भी बढ़ाया जा सकता है। हार्ट अटैक से जुड़े मामलों में यह तकनीक न सिर्फ मरीजों को समय पर इलाज दिलाने में मददगार होगी, बल्कि कई जिंदगियां बचाने में भी कारगर साबित होगी।
भारत में AI का भविष्य
रिसर्च में इस बात का भी जिक्र किया गया कि भारत में AI का इस्तेमाल कैसे बढ़ाया जा सकता है। प्रोफेसर रामकृष्णन ने बताया कि AI तकनीक से न सिर्फ हार्ट अटैक के मरीजों को मदद मिलेगी, बल्कि अन्य कई बीमारियों के इलाज में भी यह सहायक होगी। भारत में मेडिकल फील्ड में AI का इस्तेमाल आने वाले समय में तेजी से बढ़ सकता है।
हार्ट अटैक से बचाव और इलाज के क्षेत्र में यह एक बड़ी कामयाबी साबित हो सकती है। AI तकनीक न सिर्फ डॉक्टरों का काम आसान करेगी, बल्कि मरीजों की जान भी बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।